गीत – चाहूँगा मैं तुझे साँझ सबेरे , फिर भी कभी अब नाम को तेरे, आवाज़ मैं न दूँगा
फ़िल्म – दोस्ती (1964)
संगीतकार – लक्ष्मीकांत प्यारेलाल
गीतकार – मजरूह सुल्तानपुरी
गायक – मोहम्मद रफी
फ़िल्म – ‘दोस्ती’ राजश्री प्रोडक्शन्स की एक छोटे बजट की ब्लैक एण्ड व्हाइट फ़िल्म थी जिसने सफलता के नये कीर्तिमान स्थापित किये। यह फ़िल्म एक बांगला फ़िल्म – ‘लालू – भुलू‘ (1959) की रीमेक थी। निर्माता ताराचन्द बड़जात्या की पुत्री राजश्री जिनके नाम पर ‘राजश्री प्रोडक्शन्स‘ नाम रखा गया है, सुशील कुमार की कुछ फ़िल्में देख चुकी थीं और उनके काम से प्रभावित थीं। उन्होंने ‘दोस्ती’ के लिये उनके नाम का सुझाव दिया। सुशील कुमार जिन्होंने ‘दोस्ती’ में लंगड़े किशोर की भूमिका निभाई थी, कई फ़िल्मों में बाल कलाकार के रूप में अभिनय कर चुके थे। सिन्धी फ़िल्म – ‘अबाना‘ उनकी पहली फ़िल्म थी। यह फ़िल्म अभिनेत्री साधना की भी पहली फ़िल्म थी। उसके बाद उन्होंने फिर सुबह होगी, धूल का फूल, काला बाज़ार, श्रीमान सत्यवादी, फूल बने अंगारे, सहेली, संजोग आदि कई फ़िल्मों में बाल भूमिकायें अभिनीत की थीं । ‘दोस्ती’ में अंधे किशोर की भूमिका निभाने वाले सुधीर कुमार इससे पहले ‘संत ज्ञानेश्वर‘ में अभिनय कर चुके थे । संजय (जो पहले अपने नाम के साथ ‘खान‘ नहीं लगाते थे) की भी यह आरम्भिक फ़िल्मों में एक थी।
‘दोस्ती’ की कल्पनातीत सफलता से उसके दोनों युवा नायकों ने बड़ी आशायें जगाईं थीं लेकिन वे आशायें फलीभूत न हो सकीं। सुशील कुमार राजश्री प्रोडक्शन्स की ही ‘तक़दीर ‘ में दिखलाई दिये तथा सुधीर कुमार ए व्ही एम प्रोडक्शन्स की ‘लाड़ला‘ , प्रसाद प्रोडक्शन्स की ‘जीने की राह‘ तथा मराठी फ़िल्म ‘घर ची रानी‘ में दिखे। इसके बाद दोनों सितारे फ़िल्माकाश से ओझल हो गये।
सुशील कुमार ने एयर इंडिया में नौकरी कर ली। केवल देवआनन्द की फ़िल्म – ‘हीरापन्ना‘ में वे अपनी ज़िन्दगी के असली रूप एयर इंडिया के फ़्लाइट पर्सर के रूप में आख़री बार झलक दिखा सके। अब वे रिटायर्ड जीवन शांति से बिता रहे हैं। दैवयोग से सुधीर कुमार का असमय देहान्त 1993 में हो गया।
फ़िल्म – ‘दोस्ती’ का संगीत अत्यन्त लोकप्रिय रहा। बिनाका गीत माला में सफलता के परचम लहराने के साथ साथ फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कारों में भी इसने अपना वर्चस्व क़ायम रखा। उस वर्ष सर्वश्रेष्ठ संगीत के लिये मदनमोहन (वह कौन थी) और शंकर जयकिशन (संगम) का नामिनेशन भी था। उन्हें पीछे छोड़ते हुये संगीतकार लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने अपने कैरियर का पहला फ़िल्मफ़ेयर एवार्ड हासिल किया। ‘चाहूँगा मैं तुझे साँझ सबेरे’ गीत के लिये सर्वश्रेष्ठ गीतकार का एवार्ड मजरूह सुल्तानपुरी और सर्वश्रेष्ठ गायक का एवार्ड मोहम्मद रफ़ी को प्रदान किया गया। संगीतकार राहुलदेव बर्मन और लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के सम्बन्ध बेहद दोस्ताना थे । अपने दोस्तों के अनुरोध पर राहुलदेव बर्मन ने ‘दोस्ती’ के सभी गीतों व पार्श्व संगीत में माउथ आर्गन स्वयं बजाया था।
साभार:- श्री रवींद्रनाथ श्रीवास्तव जी।