Tonight the night to me Is very dear The poem is returning . To the…
“उस ग़ैरत-ए-नाहीद की हर तान है दीपक शोला सा लपक जाए है, आवाज़ तो देखो|”…
वक़्त, सफ़र की तरह मसलसल, सब्र, इंतज़ार की तरह ख़ामोश और शोहरत, क़िस्मत की तरह…
“इश्क़ में गुफ़्तगू मुझको, सहल रही तब तक मतले से मक़ते के दरम्यां, ग़ज़ल रही…
दूरदर्शन पर धारावाहिक,”महाभारत” के पुनः प्रसारण होने से बहुत कुछ पुराना, स्मृतियों के रूप में…