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गीत – तुमने मुझे देखा हो कर मेहरबाँ
रुक गई ये ज़मीं थम गया आसमां
जानेमन जानेजां
फिल्म – तीसरी मंज़िल
संगीतकार – राहुलदेव बर्मन
गायक – मोहम्मद रफ़ी
गीतकार – मजरूह सुल्तानपुरी

निर्देशक नासिर हुसैन शुरू शुरू में अपनी फ़िल्मों में संगीतकार बदल बदल कर लेते रहे थे जैसे – तुमसा नहीं देखा और फिर वही दिल लाया हूँ –ओ पी नय्यर, दिल देके देखो – उषा खन्ना, जब प्यार किसी से होता है – शंकर जयकिशन। लेकिन ‘ तीसरी मंज़िल ‘ से उन्होंने राहुलदेव बर्मन को जो चुना तो फिर लगभग दो दशक तक फ़िल्म – ‘ ज़बरदस्त ‘ तक यह साथ चलता रहा। इस दौरान अपनी सारी फ़िल्मों में संगीत की ज़िम्मेदारी उन्होंने राहुलदेव बर्मन के सिवाय और किसी को नहीं दी।

‘तीसरी मंज़िल’ निर्माता नासिर हुसैन की एकमात्र फ़िल्म है जिसका निर्देशन उन्होंने स्वयं नहीं किया। इस फ़िल्म के लिये वे निर्देशक विजय आनन्द और नायक देव आनन्द को लेना चाह रहे थे। पर कुछ कारणों से देव आनन्द इस प्रोजेक्ट से ख़ुद बाहर निकल गये। नासिर हुसैन ने उसके बाद शम्मी कपूर को फ़िल्म में काम करने का प्रस्ताव दिया। शम्मी कपूर को फ़िल्म की कहानी और सेटअप पसन्द आया पर फ़िल्म साइन करने से पहले उन्होंने देव आनन्द से बात कर उनसे अनुमति ली कि कहीं उन्हें कोई आपत्ति तो नहीं है। देवआनन्द से हरी झण्डी मिलने पर ही उन्होंने फ़िल्म साइन की।

शम्मी कपूर और ( शंकर ) जयकिशन की आपस में गहरी दोस्ती थी। वे चाहते थे कि ‘तीसरी मंज़िल’ का संगीत शंकर जयकिशन दें। उन दिनों फ़िल्म – ‘गुमनाम’ का गाना ‘जान पहचान हो, जीना आसान हो’ उन्हें बड़ा पसंद आ रहा था। उनके अनुसार ‘तीसरी मंज़िल’ में उसी क़िस्म के गाने होने चाहिये थे। नासिर हुसैन और विजय आनन्द के समझाने पर वे राहुल देव बर्मन की धुनें सुनने के लिये तैय्यार हुये। पंचम की धुनें सुनने के बाद क्या हुआ यह तो सबको पता है। ‘तीसरी मंज़िल’ के संगीत ने शम्मी कपूर के विचार ही नहीं बदले, राहुलदेव बर्मन का भाग्य भी बदल डाला साथ ही हिन्दी फ़िल्मों के संगीत की दिशा को भी एक हद तक प्रभावित किया।

‘तीसरी मंज़िल’ के निर्माण के दौरान एक दुखद घटना घट गयी । शम्मी कपूर की पत्नी गीता बाली का असमय चेचक की बीमारी में देहान्त हो गया। शम्मी कपूर जो अपनी पत्नी से पूरी तरह जुड़े हुये थे वे नियति के इस क्रूर प्रहार से बुरी तरह टूट गये। उन्होंने अपने काम में रुचि लेना एकदम बन्द कर दिया और दुनिया से दूर अपने आप में सिमट गये। लगता था ‘ तीसरी मंज़िल ‘ अधूरी ही छूट जायेगी। अन्ततः विजय आनन्द के समझाने पर लगभग तीन महीने बाद वे वापस शूटिंग पर आने के लिये राज़ी हुये।

गीताबाली जी की मृत्यु के बाद शम्मी कपूर ने जो सबसे पहली शूटिंग की वह ‘तीसरी मंज़िल’ के गीत ‘तुमने मुझे देखा, हो कर मेहरबाँ, रुक गयी ये ज़मीं, थम गया आसमां ‘ की थी। आप अगर इस गीत को ध्यान से देखें तो शम्मी जी की आँखों में दर्द की परछाइयाँ आपको साफ़ नज़र आ जायेंगी।

साभार:- श्री रवींद्रनाथ श्रीवास्तव जी।

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