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गीत – झूम बराबर झूम शराबी
झूम बराबर झूम (क़व्वाली)
फ़िल्म – फ़ाइव राइफ़ल्स
गायक और संगीतकार – अज़ीज़ नाज़ां
शायर – नाज़ा शोलापुरी
आई एस जौहर एक हरफ़नमौला कलाकार थे। वे निर्माता, निर्देशक, लेखक, अभिनेता एक साथ सब कुछ थे। उनकी कामेडियन वाली इमेज सबसे अधिक लोकप्रिय थी। उसके बाद उनके द्वारा बनाई गईं कम बजट की फ़िल्में (जो फ़िल्में कम फ़िल्मों की पैरोडी ज़्यादा लगती हैे) याद आती है- जौहर महमूद इन गोवा, जौहर महमूद इन हांगकांग, जौहर इन कश्मीर, जौहर इन बाम्बे, मेरा नाम जौहर, नसबन्दी, जय बांगला देश, फ़ाइव राइफ़ल्स इत्यादि। वे किसी भी विवादास्पद विषय को उठा कर कर उसका मज़ाक़ सा उड़ाती फ़िल्म बना देते थे। एक बार जब ज़ुल्फिकार अली भुट्टो के साथ उनकी कमउम्र बेटी बेनज़ीर भुट्टो भारत दौरे पर आईं थीं तो जौहर ने उन्हें अपनी फ़िल्म में हीरोइन का रोल आॅफर कर दिया था।
फ़िल्मी दुनिया के हिसाब से वे बेहद पढ़े लिखे इंसान थे। इकानामिक्स और पोलिटिकल साइंस में उन्होंने मास्टर्स डिग्री ले रखी थी। उन्होंने गंभीर कहानियाँ भी लिखी थीं। उनकी लिखी कहानी पर निर्माता बी आर चोपड़ा ने ‘अफ़साना‘ (अशोक कुमार, वीणा, प्राण, कुलदीप कौर) फ़िल्म बनाई थी। बाद में उसी कहानी को उन्होंने ‘दास्तान‘ (दिलीप कुमार, शर्मीला टैगोर, बिन्दु) के नाम से दोबारा बनाया। स्वयं जौहर ने ‘नास्तिक‘ (नलिनी जयवंत, अजीत) फ़िल्म लिखी और निर्देशित की थी। निर्देशक यश चोपड़ा शुरू में आई एस जौहर के सहायक थे। उन्होंने कुछ विदेशी फ़िल्मों में भी अभिनय किया था- ‘लारेंस आॅफ अरेबिया‘ , ‘हैरी ब्लैक‘ , ‘नार्थ वेस्ट फ़्रंटियर‘ , ‘डेथ आन द नाइल‘ और ‘माया ‘(टी वी सिरीज़)।
‘जौहर महमूद इन गोवा’ फ़िल्म का नाम पहले केवल ‘गोवा’ था। पर इस पर सेंसर को आपत्ति थी (जैसे आज भी ‘उड़ता पंजाब‘ में लोग ‘पंजाब’ को ले कर परेशान थे), इस पर जौहर ने नाम बदल कर ‘जौहर महमूद इन गोवा’ कर दिया। फ़िल्म सफल हो जाने पर उन्होंने इस तरह के टाइटिल्स वाली फ़िल्मों की झड़ी लगा दी। जब राज कपूर ‘मेरा नाम जोकर‘ बना रहे थे, इन्होंने ‘मेरा नाम जौहर’ बना दी। आपात् काल में परिवार नियोजन के नाम पर हुई ज़्यादतियों पर ‘नसबन्दी’ बनाई और बांगला देश के युद्ध के समय ‘जय बांगला देश’ बना दिया। इस फ़िल्म में बांगला देश की अभिनेत्री कोरबी चौधरी को रोल दे दिया जो उन दिनों रिफ्यूजी की तरह भारत में रह रहीं थीं।
जब राजेश खन्ना सुपर स्टार बन कर फ़िल्माकाश पर छाये हुये थे तब जौहर उनको तो ‘एफोर्ड’ कर नहीं सकते थे, उन्होंने राजेश खन्ना का एक हमशक्ल ढूँढा- प्रफुल्ल मिश्रा और उस डुप्लीकेट राजेश खन्ना को स्क्रीन नाम ‘राकेश खन्ना’ दे दिया। साथ में शशि कपूर सी शक्ल वाले शाही कपूर को मिला कर फ़िल्म बना दी ‘फ़ाइव राइफ़ल्स’। नायिका के रूप में उन्होंने अपनी बेटी अम्बिका जौहर को लिया। फ़िल्म में एक सहायक भूमिका में उनका बेटा अनिल जौहर भी था। वैसे तो फ़िल्म के संगीतकार कल्याण जी आनन्द जी थे पर उन दिनों अज़ीज़ नाज़ां की एक प्राइवेट क़व्वाली बेहद मशहूर हो रह थी, आई एस जौहर ने अपनी बेटी अम्बिका जौहर को लड़के के कपड़े पहना कर छद्मवेष में उन पर वह मशहूर क़व्वाली फ़िल्मा दी-
झूम बराबर झूम शराबी, झूम बराबर झूम
साभार:- श्री रवींद्रनाथ श्रीवास्तव जी।