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गीत -ऐ मेरे प्यारे वतन,ऐ मेरे बिछड़े चमन, तुझ पे दिल क़ुरबान
फ़िल्म – काबुलीवाला
संगीतकार – सलिल चौधरी
गीतकार – प्रेम धवन
गायक – मन्ना डे 

सबसे पहले बात हो जाये पहली बोलती भारतीय फ़िल्म ‘आलमआरा‘ की। यह पहली टाॅकी (सवाक) 14 मार्च 1931 को प्रदर्शित हुई थी। इससे पहले मूक फ़िल्में बना करती थीं। इस फ़िल्म में सात गाने थे। सबसे पहला गीत होने का गौरव निम्नांकित गीत को प्राप्त है-

‘दे दे ख़ुदा के नाम पे प्यारे
ताक़त है गर देने की ,
कुछ चाहे अगर तो माँग ले मुझसे
हिम्मत है गर लेने की ‘।

यह गीत पर्दे पर फ़क़ीर की भूमिका में अभिनेता वज़ीर मोहम्मद खान के ऊपर फ़िल्माया गया था। उस ज़माने में पार्श्व गायन की तकनीक नहीं थी, जो अभिनेता पर्दे पर अभिनय करता था गीत भी उसे ही गाना पड़ता था। अतः इस गीत के गायक भी वज़ीर मोहम्मद खान थे। इस तरह भारतीय फ़िल्म इतिहास में पहला गायक होने का श्रेय वज़ीर मोहम्मद खान को जाता है।

आलमआरा की कहानी पर ‘ आलमआरा ‘ शीर्षक से दो बार पुनः 1956 तथा 1973 में फ़िल्में बनीं। 1956 की ‘आलमआरा’ में संगीत ए आर क़ुरैशी का था। ए आर क़ुरैशी अर्थात् प्रसिद्ध तबलानवाज़ उस्ताद अल्ला रक्खा खां साहब जिनके बेटे उस्ताद जा़किर हुसैन भी माने हुये तबलावादक हैं। इस फ़िल्म के गीत बड़े मशहूर हुये। मोहम्मद रफ़ी का गाया ‘रमज़ान की दास्ताँ‘ वाला गीत (करता है एक रावी दिलसोज़ ये बयां) अाज भी बड़ी श्रद्धा और अकीदत से सुना जाता है।

1973 की फ़िल्म ‘ आलमआरा ‘ में नायिका नाज़िमा थीं तथा संगीत इक़बाल क़ुरैशी का था। एक अत्यन्त रोचक तथ्य कि इन दोनों ‘आलमआरा’ फ़िल्मों में भी उस फ़क़ीर की भूमिका अभिनेता वज़ीर मोहम्मद खान ने ही निभाई तथा अपनी आवाज़ में ‘दे दे ख़ुदा के नाम पे प्यारे‘ गुनगुनाया। फ़िल्म – ‘काबुलीवाला’ का निर्माण निर्माता बिमल राय ने किया था और निर्देशक हेमेन गुप्ता थे। यह फ़िल्म गुरुदेव रवीन्द्र नाथ ठाकुर की कहानी पर आधारित थी जिसमें काबुलीवाला का किरदार बलराज साहनी ने निभाया था।
इस फ़िल्म का सर्वाधिक लोकप्रिय और हृदयस्पर्शी गीत -‘ऐ मेरे प्यारे वतन तुझ पे दिल क़ुरबान’ मन्ना डे साहब के मधुर स्वर में है। इस गीत को कलमबद्ध प्रेम धवन ने किया तथा सुरों से सजाया संगीतकार सलिल चौधरी ने।

अंत में सबसे महत्वपूर्ण बात – इस गीत को पर्दे पर फ़िल्माया गया है अभिनेता वज़ीर मोहम्मद खान पर । वही वज़ीर मोहम्मद खान जिन्हें भारतीय फ़िल्म इतिहास में पहला गायक ( आलमआरा ) होने का गौरव प्राप्त है। गीत में आप पर्दे पर नायक बलराज साहनी को भी देखते हैं लेकिन गीत गाते हुये नज़र आते हैं – वज़ीर मोहम्मद खान।

साभार:- श्री रवींद्रनाथ श्रीवास्तव जी।

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