गीत – मैं का करूँ राम मुझे बुड्ढा मिल गया
फ़िल्म – संगम (1964)
संगीतकार – शंकर जयकिशन
गीतकार – हसरत जयपुरी
गायिका – लता मंगेशकर

लता मंगेशकर किसी भी गीत को गाते समय बहुत सावधान रहती हैं कि गीत के बोलों में हल्कापन या अश्लीलता न हो। मुजरा या कोठे के गीत भी वे तभी गाती थीं जब कि वे नायिका पर फ़िल्माये जाने वाले हों। राज कपूर निर्देशित फ़िल्मों में उनका गाने का सिलसिला ‘बरसात‘ (1949) से शुरू हुआ और राज कपूर निर्देशित अंतिम फ़िल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ तक चलता रहा। बीच में अपवाद स्वरूप एक फ़िल्म है ‘ मेरा नाम जोकर ‘ जिसमें लता मंगेशकर का गाया कोई गीत नहीं है।

आर के फ़िल्म्स की ‘जिस देश में गंगा बहती है‘ (निर्देशक राधू कर्माकर) में शंकर जयकिशन ने लता से ‘ओ मैंने प्यार किया, हाय हाय क्या जुरुम किया’ गवाया था जिसमें उन्हें बीच बीच में गहरी गहरी सांसें भरनी थी। उन्हें बताया गया था कि नायिका पद्मिनी तैराकी नृत्य में थक कर बीच बीच में सांसें लेती हैं। जब फ़िल्म रिलीज़ हुई तो उसे देख कर लता जी को असंतोष हुआ कि उस गीत में वे सांसें पद्मिनी कुछ कामुकता से भर रहीं थीं और सिनेमाघर में दर्शक सीटियाँ मार रहे थे।

आर के फ़िल्म्स की अगली फ़िल्म ‘संगम’ में ‘मैं का करूँ राम मुझे बुड्ढा मिल गया’ गाने में उन्हें बड़ी हिचक हो रही थी। शंकर जयकिशन और राज कपूर के बहुत समझाने और ज़ोर डालने पर उन्होंने वह गीत रिकार्ड करवाया। उन्हें आश्वासन दिया गया था कि यह एक हास्य गीत है। परन्तु फ़िल्म देखने पर उन्हें बड़ी शर्मिन्दगी महसूस हुई। फ़िल्म में इस गीत में वैजयंतीमाला उत्तेजक वस्त्रों में राज कपूर को रिझाती, लुभाती और छेड़छाड़ करती नज़र आ रहीं थीं। राज कपूर से नाराज़ हो कर उन्होंने उनकी अगली फ़िल्म ‘मेरा नाम जोकर‘ में गीत गाने से मना कर दिया। ‘संगम’ की सफलता के नशे में राज कपूर ने भी उन्हें नहीं मनाया और ‘मेरा नाम जोकर’ के गीत आशा भोंसले से गवा लिये।

‘मेरा नाम जोकर’ राज कपूर के कैरियर की सबसे बड़ी असफलता थी। टिकिट खिड़की पर यह फ़िल्म पिट गयी। अधिकांश फ़िल्म वालों की तरह राज कपूर भी अंधविश्वासी थे। उन्हें लगा कि लता मंगेशकर उनके लिये शुभ थीं। जब तक वे उनकी निर्देशित फ़िल्मों में गाती रहीं उनकी फ़िल्में हिट होती रहीं। ‘मेरा नाम जोकर’ में उनका कोई गीत नहीं था अत: वह फ़िल्म फ्लाप हो गयी।

अपनी अगली फ़िल्म ‘बाॅबी‘ शुरू करने से पहले वे लता मंगेशकर के पास गये और उन्हें इस फ़िल्म में गीत गाने के लिये मनुहार कर तैयार किया। ‘बाॅबी’ में लता जी ने गीत गाये और वह सुपरहिट रही। अब राज कपूर का विश्वास और गहरा हो गया कि लता मंगेशकर उनके लिये भाग्यशाली हैं। उसके बाद अंत तक उनकी निर्देशित हर फ़िल्म में लता उनके साथ रहीं।

साभार:- श्री रवींद्रनाथ श्रीवास्तव जी।

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