गीत – हँस कर हँसा , मस्ती में गा
कल होगा क्या , होगा क्या , भूल जा
फ़िल्म – बहुरूपिया (अप्रदर्शित)/फ़िल्म ही फ़िल्म (1983)
संगीतकार – शंकर जयकिशन
गीतकार – शैलेन्द्र
गायक – मन्ना डे

हिन्दुस्तानी फ़िल्मों के विकास में रणजीत स्टूडियो और रणजीत फ़िल्म कम्पनी/रणजीत मूव्हीटोन की फ़िल्मों का उल्लेखनीय योगदान रहा है। सरदार चन्दूलाल शाह और गौहर जान ने पार्टनरशिप में 1929 में रणजीत स्टुडियो का निर्माण किया था। जामनगर के महाराजा और जानेमाने क्रिकेटर रणजीत सिंह जी ने इस स्टूडियो को खड़ा करने में आर्थिक मदद की थी अतएव उनके प्रति कृतज्ञता प्रगट करते हुये स्टूडियो का नाम ‘रणजीत स्टुडियो’ रखा गया। ‘रणजीत फ़िल्म कम्पनी’ के झंडे तले पहले 37 मूक फ़िल्में बनीं। 1931 के बाद सवाक फ़िल्मों का निर्माण शुरू करने पर नाम बदल कर ‘रणजीत मूव्हीटोन’ कर दिया गया।

चालीस के दशक में इन्होंने लगभग पचास फ़िल्में बनाईं। कलकत्ता से के एल सहगल जब बम्बई आये तो उन्होंने सबसे पहले इस बैनर के अंतर्गत् ‘भक्त सूरदास‘ (1942) में काम किया। बाद में उनकी ‘तानसेन’, ‘भँवरा’ आदि फ़िल्में भी रणजीत मूव्हीटोन के झंडे तले बनीं। कुछ अन्य फ़िल्में हैं – फुटपाथ, बहादुर, पापी (1953), हम लोग (1951), ज़मीन के तारे (1960) आदि। आर्थिक कारणों से फ़िल्मों का निर्माण क्रमशः कम होते होते बन्द हो गया । ‘अकेली मत जइयो‘ (1963, मीना कुमारी, राजेन्द्र कुमार) इस प्रोडक्शन की आख़री फ़िल्म थी।

रणजीत मूव्हीटोन के चन्दूलाल शाह ने साठ के दशक के प्रारंभ में राज कपूर और वैजयंतीमाला को ले कर एक फ़िल्म ‘बहुरूपिया’ का निर्माण शुरू किया था। मगर आर्थिक कारणों से ‘बहुरूपिया’ अधूरी रह गयी। राज कपूर और वैजयंतीमाला की जोड़ी फिर नज़राना (1961) और संगम (1964) में नज़र आई।

‘बहुरूपिया’ का एक गाना और वाद्य संगीत पर वैजयंतीमाला के नृत्य के दृश्य ‘फ़िल्म ही फ़िल्म’ (1983) में शामिल किये गये थे। ‘फ़िल्म ही फ़िल्म’ में कई डिब्बा बन्द फ़िल्मों के गीत और दृश्यों को दिखलाया गया था। ‘मेरा नाम जोकर’ के कुछ वर्ष पहले से राज कपूर के मन में जोकर का प्रतीक बसा हुआ था। अपने दर्द भुला कर दुनिया को हँसाता जोकर। ‘बहुरूपिया’ के इस गीत में राज कपूर का वही ‘जोकर’ वाला आरंभिक रूप नज़र आता है। शंकर जयकिशन के मधुर संगीत में, मन्ना डे के स्वर में गीतकार शैलेन्द्र के जादुई बोल सुनिये ‘बहुरूपिया'( अप्रदर्शित ) के इस गीत में –

हँस कर हँसा, मस्ती में गा
कल होगा क्या, होगा क्या, भूल जा।

साभार:- श्री रवींद्रनाथ श्रीवास्तव जी।

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