गीत – हर दिल जो प्यार करेगा , वो गाना गायेगा
फ़िल्म – संगम (1964)
संगीतकार – शंकर जयकिशन
गीतकार – शैलेन्द्र
गायक – मुकेश, लता मंगेशकर, महेन्द्र कपूर

गायक महेन्द्र कपूर को प्रसिद्धि ‘अखिल भारतीय मेट्रो मर्फ़ी गायन प्रतियोगिता (1957)’ जीतने के बाद मिली थी। उस प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में संगीतकार नौशाद और सी रामचन्द्र शामिल थे। सी रामचन्द्र ने महेन्द्र कपूर से फ़िल्म – ‘नवरंग‘ (1959) का ‘आधा है चन्द्रमा रात आधी‘ गीत पहले रिकार्ड करवाया पर फ़िल्म बाद में रिलीज़ हुई । उससे पहले ‘सोहनी महिवाल‘ (1958) प्रदर्शित हो गई जिसका प्रसिद्ध गीत ‘चाँद छुपा और तारे डूबे, रात ग़ज़ब की आई‘, नौशाद ने बाद में रिकार्ड करवाया था। ‘नवरंग ‘ के कुछ और गीत भी महेन्द्र कपूर ने गाये और फ़िल्म की सफलता के बाद महेन्द्र कपूर भी एक सफल गायक के रूप में पहचाने जाने लगे।

‘मेट्रो मर्फ़ी प्रतियोगिता’ जीतने के पहले भी महेन्द्र कपूर ने कुछ गीत छोटे बजट की फ़िल्मों में गाये थे जो प्रसिद्ध नहीं हुये। उनका पहला गीत फ़िल्म ‘मदमस्त‘ (1953) में था जिसके निर्माता जगदीश पंत थे। संगीतकार थे वी बलसारा। वह एक युगलगीत था जिसे महेन्द्र कपूर ने धन इन्दौरवाला के साथ गाया था -‘किसी के ज़ुल्म की तस्वीर है मज़दूर की बस्ती‘। धन इन्दौरवाला का विवाह वी बलसारा के साथ हुआ था। ‘मदमस्त’ की एक क़व्वाली भी महेन्द्र कपूर और एस डी बातिश की आवाज़ में थी – ‘उन्हें देखें तो वो मुँह फेर, हमें आँखें दिखाते हैं ‘।

संगीतकार स्नेहल भाटकर ने ‘दीवाली की रात‘ (1956) में महेन्द्र कपूर से पहला सोलो गीत गवाया था -‘किसको दानी कहें, तेरे दर की भिखमंगी है दुनिया सारी ‘। इन गीतों के अलावा अनिल विश्वास के संगीत में महेन्द्र कपूर ने एक पंजाबी फ़िल्म में ‘हीर‘ तथा फ़िल्म – ‘मधुर मिलन‘ (1955, बुलो सी रानी ) और ‘ललकार‘ (1956, शन्मुख बाबू) में भी गीत गाये थे।

महेन्द्र कपूर मोहम्मद रफ़ी को अपना गुरू मानते थे तथा उनके साथ तानपूरा बजाया करते थे। रफ़ी साहब को भी महेन्द्र कपूर से काफ़ी स्नेह था। दोनों की आवाज़ में साम्यता थी अत: व्यर्थ की तुलना व समालोचना से दूर रहने के लिये उन्होंने तय किया था कि वे दोनों मिल कर किसी फ़िल्म में साथ नहीं गायेंगे। केवल एक बार फ़िल्म ‘आदमी’ का गीत‘ कितनी हसीन आज सितारों की रात है , एक चाँद आसमां पे है एक मेरे पास है ‘ दोनों को साथ गाना पड़ा। नौशाद यह गीत पहले रफी व तलत महमूद की आवाज़ों में रिकार्ड कर चुके थे। लेकिन मनोज कुमार, तलत महमूद के गाये गीत से सन्तुष्ट नहीं थे। वे अपने लिये महेन्द्र कपूर का प्लेबैक चाहते थे। नौशाद को समझौता करते हुये यह गीत दोबारा मोहम्मद रफ़ी और महेन्द्र कपूर से रिकार्ड करवाना पड़ा। बाज़ार में जिसके रिकार्ड आये तथा जो रेडियो पर बजा वह गीत रफ़ी व तलत महमूद के स्वर में था पर फ़िल्म में वही गीत मो रफ़ी और महेन्द्र कपूर के गाये वर्शन वाला था।

एक बार राज कपूर और महेन्द्र कपूर साथ में ताशकन्द में एक प्रोग्राम देने गये थे। राजकपूर की रूस में लोकप्रियता सर्वज्ञात है। उनके एक्ट के बाद भरपूर तालियाँ बजीं तथा बाद में वे बैक स्टेज चले गये। उनके बाद महेन्द्र कपूर की पारी थी। उन्होंने अपने एक गीत का रूसी भाषा में अनुवाद करा रखा था, वह सुनाया। अपनी भाषा में गीत सुन कर दर्शक ख़ूब उत्साहित हो गये और ख़ूब तालियाँ बजीं और शोर हुआ। राजकपूर देखने आये कि किस कलाकार को इतनी तालियाँ मिल रही हैं। महेन्द्र कपूर को गाते देख कर उन्होंने कहा , “सिर्फ़ एक कपूर ही दूसरे कपूर को मात दे सकता है।

देश वापसी के समय जब दोनों कपूर साथ थे तो राज जी ने महेन्द्र कपूर से कहा ,” मेरे लिये तो गाने मुकेश गाते हैं, पर अपनी फ़िल्म के सहनायक के लिये मैं तुमसे गवाऊंगा।”
महेन्द्र कपूर ने जवाब दिया, ”पाजी , अभी तो आप ऐसा बोल रहे हैं पर बम्बई पहुँच कर आप सब भूल जायेंगे।” राजकपूर उस समय सिगरेट पी रहे थे। उस जलती सिगरेट से उन्होंने अपना हाथ दाग लिया और कहा , ” लो अब मुझे याद रहेगा कि मुझे तुमसे गीत गवाना है।” फिर ‘संगम’ का गीत ‘हर दिल जो प्यार करेगा वो गाना गायेगा, दीवाना सैकड़ों में पहचाना जायेगा ‘ उन्होंने महेन्द्र कपूर से गवाया।

साभार:- श्री रवींद्रनाथ श्रीवास्तव जी।

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