गीत – यशोमती मैया से बोले नन्दलाला
राधा क्यों गोरी , मैं क्यों काला ?
फ़िल्म – सत्यम् शिवम् सुन्दरम् (1978)
संगीतकार – लक्ष्मीकान्त प्यारेलाल
गीतकार – पंडित नरेन्द्र शर्मा
गायिका – लता मंगेशकर


लता मंगेशकर जब बहुत छोटी थीं उन पर माता का प्रकोप हुआ था अर्थात् चेचक निकली थी। उन दिनों माता के मरीज़ को डॉक्टर के पास नहीं ले जाया जाता था। चेचक के छाले सूख कर जब झड़ रहे थे तब सूखी त्वचा के साथ उनके सिर से बालों के गुच्छे के गुच्छे चमड़ी के साथ निकल गये थे। काफ़ी तकलीफ़ के बाद उनकी तबीयत तो सुधरी लेकिन चेहरे पर चेचक के दाग रह गये।
राजकपूर जब ‘सत्यम् शिवम् सुन्दरम्’ बना रहे थे तो उन्होंने प्रेस को वक्तव्य दिया था कि फ़िल्म की कहानी लता मंगेशकर से प्रेरित है। फ़िल्म की नायिका ज़ीनत अमान का आधा चेहरा जल कर कुरूप हो गया था लेकिन उनकी आवाज़ अत्यन्त सुरीली थी। फ़िल्म की नायिका और लता मंगेशकर की तुलना करते हुये कुछ लोगों ने इस वक्तव्य का ग़लत आशय निकाल लिया। संभवत: लताजी को भी बात खटकी होगी। राजकपूर को ‘स्क्रीन’ में एक विज्ञापन दे कर स्पष्ट करना पड़ा कि फ़िल्म की प्रेरणा मात्र लता जी का दिव्य गायन है।
‘सत्यम् शिवम् सुन्दरम्’ में संगीत रचने के लिये प्रस्ताव ले कर राजकपूर, हृदयनाथ मंगेशकर के पास गये थे। हृदयनाथ मंगेशकर ने अपनी स्वीकृति भी दे दी थी। इससे सम्बन्धित समाचार पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशित हो गये। बाद में राजकपूर ने अपना निर्णय बदल कर ‘बॉबी‘ के सफल संगीतकारद्वय लक्ष्मीकांत प्यारेलाल को ही दोबारा साइन करना उचित समझा। इन सारे घटनाक्रम से हृदयनाथ मंगेशकर का सम्मान आहत हुआ। राजकपूर प्रस्ताव ले कर स्वयं उनके पास आये थे, वे उनके पास काम माँगने नहीं गये थे, अत: उन्हें बड़ा बुरा लग रहा था। छोटे भाई के साथ यह अन्यायपूर्ण व्यवहार लता मंगेशकर को भी खल गया। उन्होंने राजकपूर से अपनी नाराज़गी व्यक्त करते हुये ‘सत्यम् शिवम् सुन्दरम्’ में गाने से मना कर दिया।
फ़िल्म के गीत वरिष्ठ गीतकार पंडित नरेन्द्र शर्मा लिख रहे थे। उन्होंने कहा कि गीत तो लता को ही गाने पड़ेंगे। उनके बग़ैर फ़िल्म की कल्पना ही अधूरी रह जायेगी। लक्ष्मीकान्त ने भी कहा कि यदि लताजी गीत नहीं गाती हैं तो वे लोग भी यह फ़िल्म नहीं करेंगे। जब यह बातें हृदयनाथ मंगेशकर को पता चलीं तो सारा द्वेष भूल कर उन्होंने लता दीदी को समझाबुझा कर गीत गाने के लिये राज़ी कर लिया। भाई के कहने पर लता मंगेशकर ने ‘ सत्यम् शिवम् सुन्दरम् ‘ के गाने रिकार्ड किये। लेकिन वे रिकॉर्डिंग में चुपचाप जातीं और बिना किसी से अधिक बात किये गीत रिकार्ड कर वापिस लौट जातीं। राजकपूर से व्यवसायिक सम्बन्ध तो चलते रहे किन्तु आपसी रिश्तों की जो ऊष्मा थी वह समाप्त हो गयी ।
साभार:- श्री रवींद्रनाथ श्रीवास्तव जी।

Leave a comment