गीत – चैन से हमको कभी आपने जीने न दिया
ज़हर भी चाहा अगर पीना तो पीने न दिया
फ़िल्म – प्राण जाये पर वचन ना जाये (1974)
संगीतकार – ओ पी नय्यर
गीतकार – एस एच बिहारी
गायिका – आशा भोंसले

संगीतकार ओ पी नय्यर बचपन में बेहद बीमार रहा करते थे। शारीरिक कमज़ोरी की वजह से उनके स्वभाव में एक चिड़चिड़ापन आ गया। थोड़े बड़े होने पर उनकी ग़लतियों पर हमेशा माँ बाप के हाथों पिटाई हो जाती थी। इन कारणों से वे कुछ विद्रोही और गर्म मिज़ाज वाले हो गये। इस गर्म स्वभाव के चलते उनके पारिवारिक तथा व्यवसायिक जीवन में कई समस्या़यें आईं। अपने अंतिम वर्षों में वे पत्नी बच्चों से अलग रहने लगे थे। फ़िल्मी दुनिया में भी अन्य सहकर्मियों से उनके मतभेद होते रहे पर वे कभी किसी के सामने नहीं झुके।

ओ पी नय्यर पचास एवं साठ के दशक के अकेले ऐसे सफल संगीतकार हुये जिन्होंने कभी लता मंगेशकर से गाने नहीं गवाये। इसके पीछे वे किसी मतभेद से इंकार करते थे। उनका कहना था कि वे जिस क़िस्म का संगीत देते हैं और जैसे गाने बनाते हैं, उनके लिये शमशाद बेग़म, गीता दत्त और आशा भोंसले की आवाज़ ज़्यादा उपयुक्त हैं। फ़िल्म -‘मंगू‘ (1954, शेख़ मुख़्तार, शीला रमानी, निगार सुल्ताना) में पहले मोहम्मद शफ़ी संगीत दे रहे थे। उन्होंने सुमन हिमाड़ी/कल्याणपुर के स्वर में तीन गीत रिकार्ड किये थे। यह सुमन कल्याणपुर की पहली फ़िल्म थी। बाद में ओ पी नय्यर इस फ़िल्म में आ गये। उन्होंने सुमन कल्याणपुर के दो गीत रद्द कर दिये। उनका केवल एक गीत बचा -‘कोई पुकारे धीरे से तुझे, आँखों के तारे दिल के सहारे।’ इससे सुमन कल्याणपुर को बेहद निराशा हुई। फिर उन्होंने जीवन में कभी ओ पी नय्यर के साथ काम नहीं किया।

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मोहम्मद रफ़ी एक बार ओ पी नय्यर की रिकार्डिंग में कुछ देर से पहुँचे। नाराज़ नय्यर साहब के कारण पूछने पर उन्होंने ईमानदारी से बता दिया कि शंकर जयकिशन की रिकार्डिंग में व्यस्त थे इस कारण कुछ देर हो गयी। ओ पी नय्यर और शंकर जयकिशन के बीच गहरी प्रतिद्वंदिता थी अत: चिढ़ कर उन्होंने रिकार्डिंग कैंसिल कर दी और रफ़ी से गाना गवाना बंद कर दिया।

नया दौर‘ के गानों की सफलता का श्रेय लेने की होड़ में उन्होंने साहिर लुधियानवी से नाता तोड़ लिया था। निर्माता रतन मोहन की फ़िल्म ‘प्राण जाये पर वचन ना जाये’ में ओ पी नय्यर के संगीत में सारे गीत केवल आशा भोंसले की आवाज़ में थे। सुनील दत्त, रेखा, बिन्दु अभिनीत इस फ़िल्म के निर्देशक प्रसिद्ध लेखक अली रज़ा थे जिनकी शादी अभिनेत्री निम्मी से हुयी थी। आशा भोंसले और ओ पी नय्यर की एक साथ यह आख़री फ़िल्म थी।

व्यक्तिगत जीवन में दूरियाँ आ जाने से उन्होंने फिर साथ काम करना बंद कर दिया। आशा भोंसले के बाद ओ पी नय्यर ने कृष्णा कल्ले, दिलराज कौर, पुष्पा पागधरे आदि गायिकाओं से गाने गवाये पर वे अपना पुराना जादू जगाने में नाकामयाब रहे। ‘प्राण जाये पर वचन ना जाये’ के गीत ‘चैन से हमको कभी आपने जीने न दिया’ के लिये आशा भोंसले को सर्वश्रेष्ठ गायिका का फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड मिला। लेकिन यह गीत फ़िल्म में शामिल नहीं था।

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साभार:- श्री रवींद्रनाथ श्रीवास्तव जी।

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