गीत – ममता की बाँहों में, जीवन की राहों में
कोई आने वाला है
फ़िल्म – जीवन ज्योति (1953)
संगीतकार – एस डी बर्मन
गीतकार – साहिर लुधियानवी
गायक – आशा भोंसले, शम्मी कपूर
शम्मी कपूर ने सबसे पहले निर्माता अस्पी की फ़िल्म ‘मैं और वह’ साइन की थी। फ़िल्म में नायिका मधुबाला थीं। लेकिन वह फ़िल्म मुहूर्त से आगे बढ़ी ही नहीं। उसके बाद उन्होंने निर्माता ए. आर. कारदार की फ़िल्म ‘जीवन ज्योति‘ साइन की। इसके निर्देशक महेश कौल थे। थोड़े समय बाद ही उन्होंने पी. एन. अरोड़ा की ‘रेल का डिब्बा’ में काम करना स्वीकार कर लिया। इसमें फिर उनकी नायिका मधुबाला थीं। ‘रेल का डिब्बा’ ही उनकी पहली फ़िल्म थी जो रिलीज़ हो कर सिनेमाघरों तक पहुँची। परन्तु यह बुरी तरह असफल रही।
निर्माता ए आर कारदार ने कालीनाॅस टूथपेस्ट के साथ मिल कर एक ‘आल इंडिया टैलेण्ट हण्ट’ प्रतियोगिता आयोजित की थी। इस प्रतियोगिता में ‘कालीनाॅस स्माइल’ की विजेता रहीं पीस कँवल और चाँद उस्मानी। ‘जीवन ज्योति’ में शम्मी कपूर के साथ उन्होंने चाँद उस्मानी को नायिका लिया। अपनी दूसरी फ़िल्म ‘दिले नादां‘ (1953) में तलत महमूद और श्यामा के साथ पीस कँवल को दूसरी नायिका बनाया। संगीतकार ग़ुलाम मोहम्मद ने ‘दिले नादां’ के लिये कई बेहद सुरीले गीत बनाये थे – ‘ज़िन्दगी देने वाले सुन तेरी दुनिया से दिल भर गया‘, ‘जो ख़ुशी से चोट खाये वो जिगर कहाँ से लाऊँ‘ (दोनों गीत तलत महमूद), ‘मोहब्बत की धुन बेकरारों से पूछो’ (तलत महमूद, सुधा मल्होत्रा, जगजीत कौर) वग़ैरह।
Madhubala- Personal & Rare Photographs
निर्माता लेखराज भाखरी की फ़िल्म ‘ठोकर‘ (1953) भी शम्मी कपूर की आरंभिक फ़िल्मों में एक थी। इसमें उनकी नायिका श्यामा और सह नायिका जय जयवंती थीं। जयजयवंती बाद में नाम बदल कर अमिता बन गयीं थीं। अमिता ने शम्मी कपूर के साथ उनकी पहली हिट फ़िल्म ‘तुमसा नहीं देखा’ में नायिका की भूमिका निभाई थी।
फ़िल्म ‘जीवन ज्योति’ (1953) में सचिनदेव बर्मन के संगीत निर्देशन में शम्मी कपूर ने आशा भोंसले के साथ साहिर लुधियानवी का लिखा एक युगलगीत गाया थ। संभवतः उनके द्वारा गाया हुआ यह इकलौता गीत है –
चाँदनी की पालकी में बैठ कर
कोई आने वाला है
तस्वीरें बनती हैं, किरणें सी छनती हैं
मेरे ख़यालों में आज
ममता की बाँहों में, जीवन की राहों में
कोई आने वाला है.
साभार:- श्री रवींद्रनाथ श्रीवास्तव जी।