गीत – होंठों पे सचाई रहती है , जहाँ दिल में सफ़ाई रहती है
हम उस देश के वासी हैं , जिस देश में गंगा बहती है
फ़िल्म – जिस देश में गंगा बहती है(1960)
संगीतकार – शंकर जयकिशन
गीतकार – शैलेन्द्र
गायक – मुकेश
आर के फ़िल्म्स की फ़िल्म -‘जिस देश में गंगा बहती है‘ प्रसिद्ध सिनेमेटोग्राफ़र राधू कर्माकर ने डायरेक्ट की थी। इस फ़िल्म में केवल एक गीत -‘हो मैंने प्यार किया, हाय हाय क्या जुरुम किया’ हसरत जयपुरी का लिखा हुआ था, बाक़ी सारे गीत शैलेन्द्र के थे। जब इस फ़िल्म के टाइटिल सांग पर विचार चल रहा था तब राजकपूर ने शैलेन्द्र को गीत लिखने की सलाह दी। हसरत जयपुरी भी वह गीत लिखना चाह रहे थे। उन्होंने जब अपनी इच्छा ज़ाहिर की तो राजकपूर ने कहा,’आप दोनों ही फ़िल्म के लिये शीर्षक गीत लिख कर लायें। फ़िल्म के लिये जो ज़्यादा उपयुक्त होगा, उसे हम रिकार्ड कर लेंगे।’
गीतकार शैलेन्द्र के छोटे बेटे दिनेश शंकर शैलेन्द्र (बबलू) के अनुसार अगले दिन शैलेन्द्र गीत के मुखड़े के साथ 24 अंतरे लिख कर ले गये। राजकपूर सहित सारे लोग चकित रह गये। उन अंतरों में से तीन अंतरे मुख्य गीत के लिये चुने गये और कुछ अंतरों का उपयोग बैकग्राउंड म्यूज़िक के तौर पर कर लिया गया।
A Rare Photo Album of Legendary Lyricist Shailendra
फ़िल्म रिलीज़ होने के बाद रेडियो सीलोन के एनाउंसर गोपाल शर्मा और शील वर्मा अपनी बम्बई यात्रा के दौरान एच एम व्ही के विजय किशोर दुबे के साथ शंकर जयकिशन के म्यूज़िक रूम में उनसे मिलने गये। उस समय वहाँ महेन्द्र कपूर भी मौज़ूद थे। उन दिनों रेडियो सीलोन के एनाउंसर्स को भी सितारों जैसा महत्व दिया जाता था। उनके अनुरोध पर शंकर ने अपनी आवाज़ में ‘होंठों पे सचाई रहती है’ गा कर सुनाया बाक़ी सब लोग गीत के कोरस वाले हिस्से में शामिल हो गये। उस गीत को टेप कर गोपाल शर्मा सीलोन (श्री लंका) ले गये। उन्होंने जब रेडियो पर वह गीत बजाया तो ढेरों श्रोताओं ने ‘आप की फ़रमाइश’ प्रोग्राम में इस गीत को शंकर की आवाज़ में सुनने के लिये फ़रमाइशों पत्रों की झड़ी लगा दी।
साभार:- श्री रवींद्रनाथ श्रीवास्तव जी।