गीत – छलिया मेरा नाम छलना मेरा काम
फ़िल्म – छलिया (1960)
संगीतकार – कल्याणजी आनन्दजी
गीतकार – क़मर जलालाबादी
गायक – मुकेश
फ़िल्म ‘एक फूल चार काँटे‘ (1960) भप्पी सोनी की बतौर निर्देशक पहली फ़िल्म थी। इसके मुख्य कलाकार सुनील दत्त और वहीदा रहमान थे। इसमें एक ‘फूल’ वहीदा रहमान के चार ‘काँटे’ उनके चार चाचा थे जो अपने अपने हिसाब से उनके लिये लड़का ढूँढ रहे थे। उनके प्रेमी नायक सुनील दत्त किस तरह चारों चाचाओं को संतुष्ट करते हैं यही इस कामेडी फ़िल्म की कहानी थी। सन 2000 में इस कहानी पर डेविड धवन ने फ़िल्म ‘दुल्हन हम ले जायेंगे‘ (सलमान खान, करिश्मा कपूर) बनाई थी।
‘एक फूल चार काँटे’ की एक विशेषता यह थी कि इसमें शंकर जयकिशन ने एक राॅक एण्ड रोल गीत अंग्रेज़ी में बनाया था। अक्सर हिन्दी फ़िल्म में अंग्रेज़ी गीत के लिये लोग सबसे पहले ‘जूली‘ के ‘माई हार्ट इज़ बीटिंग, कीप्स आॅन रिपीटिंग’ को याद करते हैं। पर शैलेन्द्र इसके बरसों पहले एक अंग्रेज़ी गीत लिख चुके थे –
Bombshell Baby of Bombay
Rocking right over my heart
You have set me fire anyway
You are too good in your art.
यह फड़कता गाना सरदार इक़बाल सिंह ने गाया था और यह फ़िल्माया भी उन्हीं पर गया था। लेकिन सेंसर बोर्ड को ‘Bombshell Baby of Bombay’ पसंद नहीं आया और उनकी आपत्ति पर इस गीत को शैलेन्द्र को बदल कर करना पड़ा – ‘O Beautiful Baby of Broadway’ सेंसर बोर्ड की आपत्ति के कारण गीतों के बोल बदलने के और भी उदाहरण हैं – ‘ख़ुद्दार‘(1994, गोविन्दा, करिश्मा कपूर) में अन्नू मलिक के संगीत में उनके साथ अलीशा चिनाय का एक गीत था – ‘सेक्सी सेक्सी सेक्सी मुझे लोग बोलें’ जिसे टीवी पर ख़ूब दिखाया गया था। लेकिन फ़िल्म में गीत को बदल कर ‘बेबी बेबी बेबी मुझे लोग बोलें’ करना पड़ा था। मनमोहन देसाई की निर्देशक के रूप में पहली फ़िल्म ‘छलिया‘ (1960, राज कपूर, नूतन) थी। इसमें राजकपूर एक जेबकतरे की भूमिका में थे। उस कैरेक्टर को ध्यान में रख कर क़मर जलालाबादी ने गीत लिखा था –
छलिया मेरा नाम छलना मेरा काम
हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई सबको मेरा सलाम
लेकिन सेंसर बोर्ड को ‘छलना मेरा काम’ पर आपत्ति थी अतः उस पंक्ति को हटाना पड़ा और गीत हो गया –
छलिया मेरा नाम छलिया मेरा नाम
हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई सबको मेरा सलाम
पर इन सबमें मज़े की बात यह होती थी कि फ़िल्म में तो बोल बदल जाते थे पर जो रिकार्ड बाज़ार में आते थे और रेडियो पर बजते थे वे अनसेंसर्ड ओरिजिनल बोल वाले ही रहते थे। ‘छलिया’ के टाइटिल गीत के मुखड़े के अलावा अंतरे की लाइनें भी बदलनी पड़ी थीं –
मैं हूँ गलियों का शहज़ादा जो चाहूँ वो ले लूँ
शहज़ादे तलवार से खेलें मैं कैंची से खेलूँ
ये पंक्तियाँ कैंची से खेलने वाला जेबकतरा नायक गा रहा था , पर उन्हें बदलना पड़ा –
मैं हूँ गलियों का शहज़ादा जो माँगो वो दे दूँ
शहज़ादे तलवार से खेलें , मैं अश्कों से खेलूँ
अमिताभ बच्चन ने अपने ब्लाग में एक बार लिखा था कि अपनी किशोरावस्था में जब वे ‘छलिया मेरा नाम, छलना मेरा काम’ गुनगुनाया करते थे तो उनके पिता डाॅ हरिवंश राय बच्चन जी को अच्छा नहीं लगता था। वे समझाते थे कि ‘छलना मेरा काम’ कितने ग़लत बोल हैं । ऐसे गाने मत गाया करो।
साभार:- श्री रवींद्रनाथ श्रीवास्तव जी।