गीत – कितना रंगीन है ये चाँद सितारों का समां
आप तकते ही नहीं आपकी आदत क्या है

फ़िल्म – पिकनिक (अप्रदर्शित)/फ़िल्म ही फ़िल्म (1983)
संगीतकार – एन दत्ता
गीतकार – मजरूह सुल्तानपुरी
गायक – आशा भोंसले, मोहम्मद रफी

भारत की पहली सिनेमास्कोप फ़िल्म ‘काग़ज़ के फूल’ के रूप में गुरुदत्त ने विशाल कैनवास पर एक सपना गढ़ा था जो बाॅक्स आॅफिस की खिड़की पर लड़खड़ा कर टूट गया। अपनी इस असफलता पर गुरुदत्त घनघोर निराश हो गये। इस फ़िल्म के बाद उन्होंने किसी और फ़िल्म का निर्देशन नहीं किया। गुरुदत्त फ़िल्म्स की बाद की फ़िल्मों के निर्देशन उन्होंने दूसरे निर्देशकों से करवाये। ‘साहब बीवी और ग़ुलाम‘ – अबरार अलवी, ‘चौदहवीं का चाँद‘- मोहम्मद सादिक़ और ‘बहारें फिर भी आयेंगी‘ – शाहिद लतीफ़ के द्वारा निर्देशित फ़िल्में हैं।

निर्देशन में असफलता उन्हें पहले भी मिली थी पर वे निराश नहीं हुये थे। ‘सैलाब‘ (1956) उनकी एक सुपर फ्लाप फ़िल्म थी। इस फ़िल्म के प्रोड्यूसर गीतादत्त के भाई मुकुल राय थे जिन्होंने फ़िल्म का संगीत निर्देशन भी किया था। गीताबाली, अभि भट्टाचार्य, स्मृति बिश्वास, हेलन अभिनीत ‘ सैलाब ‘ के गीत गीतादत्त के अलावा उनकी बहन लक्ष्मी राय (लोक्खी राय) ने भी गाये थे। लक्ष्मी राय का विवाह प्रसिद्ध निर्माता निर्देशक प्रमोद चक्रवर्ती (लव इन टोक्यो, ज़िद्दी, नया ज़माना, जुगनू आदि ) के साथ हुआ था।
‘काग़ज़ के फूल’ के बाद गुरुदत्त फ़िल्म्स की अन्य प्रस्तुतियाँ ‘साहब बीवी और ग़ुलाम’ और ‘चौदहवीं का चाँद’ टिकिट खिड़की पर यथेष्ट सफल रहीं थीं। इस प्रोडक्शन की ‘बहारें फिर भी आयेंगी’ जब बन रही थी उस दौरान ही गुरुदत्त ने आत्महत्या का दुर्भाग्यपूर्ण क़दम उठा लिया था। बाद में धर्मेन्द्र को ले कर यह फ़िल्म बनाई गयी।

के आसिफ़ की महत्वाकांक्षी फ़िल्म ‘लव एण्ड गाड’ एक अन्य अधूरी फ़िल्म थी जिसमें गुरुदत्त अभिनय कर रहे थे। यह फ़िल्म लैला मजनू की मशहूर दन्तकथा पर आधारित थी। इस फ़िल्म में उनके बाद संजीव कुमार को लिया गया था। के आसिफ़ के देहान्त से यह फ़िल्म फिर संकट में पड़ गयी थी। बाद में के सी बोकाड़िया ने इस आधी अधूरी सी फ़िल्म को किसी तरह रिलीज़ किया था। लेकिन उनका यह प्रयास असफल रहा।

गुरुदत्त के असमय चले जाने से तीसरी फ़िल्म ‘ पिकनिक ‘ भी प्रभावित हुई। यह फ़िल्म अधूरी ही रह गयी और प्रदर्शित न हो सकी । इस फ़िल्म में उनकी नायिका साधना थीं। इन दोनों की एक साथ यह पहली फ़िल्म थी। 1983 में एक प्रयोगात्मक फ़िल्म ‘फ़िल्म ही फ़िल्म’ आई थी जिसके मुख्य कलाकार प्राणथे। निर्देशक हीरेन नाग ने इस फ़िल्म में कई पुरानी फ़िल्म जो किन्हीं कारणों से अधूरी रह गयीं थीं, की क्लिपिंग्ज़ एक कहानी में पिरो कर प्रस्तुत की थी। गुरुदत्त, साधना की फ़िल्म ‘पिकनिक’ के भी इसमें दो गाने थे। पहला गुरुदत्त, साधना और दूसरा गुरुदत्त , हेलन पर फ़िल्माया हुआ। इस फ़िल्म के संगीतकार एन दत्ता और गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी थे।

गुरुदत्त और साधना की दुर्लभ जोड़ी का गीत पेश है – कितना रंगीन है ये चाँद सितारों का समां, आप तकते ही नहीं आपकी आदत क्या है।

साभार:- श्री रवींद्रनाथ श्रीवास्तव जी एवं श्री पवन झा यूट्यूब चैनल 

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