गीत – कभी आर कभी पार लागा तीरे नज़र
फ़िल्म – आर पार (1954)
संगीतकार – ओ पी नय्यर
गीतकार – मजरूह सुल्तानपुरी
गायिका – शमशाद बेग़म
‘आरपार‘ (1954) निर्माता, निर्देशक एवं हीरो गुरू दत्त की एक हल्की फुल्की अपराध फ़िल्म थी जो बॉक्स अॉफिस पर भी सफल रही थी। श्यामा, शकीला, जॉनी वॉकर, जगदीप आदि इस फ़िल्म के अन्य कलाकार थे। संगीतकार ओ पी नय्यर की यह पहली हिट फ़िल्म थी। इसके पहले उनकी फ़िल्में ‘आसमान’, ‘छम छमाछम’, ‘बाज़’ आदि को वांछित सफलता नहीं मिली थी।
‘आरपार’ फ़िल्म प्रदर्शन के लिये तैयार थी और उसकी रिलीज़ डेट भी घोषित कर दी गयी थी। फ़िल्म सेंसर बोर्ड के पास उनके सर्टिफ़िकेट के लिये जब प्रस्तुत की गयी तो बोर्ड के सदस्यों ने एक आपत्ति लगा दी। फ़िल्म का शीर्षक गीत ‘कभी आर कभी पार लागा तीरे नज़र‘ जो शमशाद बेग़म की आवाज़ में था जगदीप पर फ़िल्माया गया था।
जगदीप उस समय किशोरवय के थे। बच्चों के गीत तो महिला गायिकाओं द्वारा गाये जाते थे पर किशोरावस्था वाले जगदीप पर शमशाद बेग़म का गाया गीत सेंसर बोर्ड को ठीक नहीं लगा। बोर्ड के सदस्यों ने गुरुदत्त को सलाह दी कि गीत को किसी महिला कलाकार पर फ़िल्मा लिया जाये तो गीत पास कर दिया जायेगा। रिलीज़ डेट सामने थी। कुमकुम उन दिनों नईं नईं थीं। गुरुदत्त ने तत्काल निर्णय लेते हुये वह गीत उन पर फ़िल्मा कर एडिटिंग से उसके टुकड़े पुराने गीत में जोड़ दिये। वे स्वयं एक कुशल नर्तक थे अत: उन्हें कुमकुम को भावभंगिमायें समझाने में कोई दिक़्क़त नहीं हुई। फ़िल्म अपने निश्चित दिन रिलीज़ कर दी गयी।
गीत देख कर आसानी से समझा जा सकता है कि गुरुदत्त, श्यामा और जगदीप का हिस्सा और कुमकुम का हिस्सा अलग अलग शूट किये गये हैं। गाने के प्री ल्यूड और इंटर ल्यूड म्यूज़िक में जगदीप रहते हैं और बोल शुरु होने पर कुमकुम पर्दे पर आ जाती हैं।
साभार:- श्री रवींद्रनाथ श्रीवास्तव जी।