गीत – जागो मोहन प्यारे
फ़िल्म – जागते रहो (1956)
संगीतकार – सलिल चौधरी
गीतकार – शैलेन्द्र
गायिका – लता मंगेशकर

शम्भू मित्रा बंगाल के नाट्य और सिने जगत के जानेमाने एवं प्रतिष्ठित व्यक्तित्व थे। एक नाटककार, अभिनेता और निर्देशक के रूप में उन्होंने नये प्रतिमान स्थापित किये थे। एक बार उनका नाटक ‘एक दिन रात्रे‘ देख कर राज कपूर अत्यन्त प्रभावित हुये और नाटक समाप्त होते ही बैकस्टेज पहुँच कर उन्होंने शंभू मित्रा को बधाइयाँ दीं और कहा कि मैं आपके इस नाटक पर फ़िल्म बनाना चाहूँगा। उन्होंने शंभू मित्रा के सामने दो विकल्प रखे – ‘मैं फ़िल्म का निर्देशन करूँगा और आप उसमें अभिनय करें या फिर आप फ़िल्म का निर्देशन करें और मैं उसमें अभिनय करूँ। ‘काफ़ी सोच विचार कर शंभू मित्रा ने दूसरा विकल्प चुना। राज कपूर को शंभू मित्रा की क्षमता पर पूरा पूरा भरोसा था उन्होंने उन्हें अपनी टीम चुनने की पूरी स्वतंत्रता दी। तय हुआ कि फ़िल्म हिन्दी के साथ साथ बांगला भाषा में भी बनेगी। हिन्दी में ‘जागते रहो’ और बांगला में ‘एक दिन रात्रे’। सह निर्देशक के रूप में शंभू मित्रा ने अमित मोइत्रा को चुना। आर के फ़िल्म्स के नियमित संगीतकार शंकर जयकिशन के बदले उन्होंने सलिल चौधरी को लिया।

गीतकार अलबत्ता आर के फ़िल्म्स के शैलेन्द्र रहे। फ़िल्म में एक गीत पंजाब की ख़ुशबू वाला था – ‘ऐंवें दुनिया देवे दुहाई तेकि मैं झूठ बोलिया कोई ना’, इस गीत के लिये प्रेम धवन की सेवायें ली गयीं। राज कपूर के साथ अन्य कलाकार थे – मोतीलाल, प्रदीप कुमार, सुमित्रा देवी, इफ़्तेखार, नेमो, डेज़ी ईरानी आदि। पंजाबी भांगड़ा मनोहर दीपक ने किया।

फ़िल्म में पूरी तरह से शंभू मित्रा की छाप स्पष्ट नज़र आती है। राज कपूर सारी फ़िल्म में चुप रहते हैं। उनके हिस्से में अत्यन्त सीमित संवाद आये। केवल हावभाव और आँखों से उन्होंने जीवन्त अभिनय किया। मोतीलाल पर फ़िल्माया गया गीत -‘ज़िन्दगी ख़्वाब है’ बेहद लोकप्रिय हुआ। एक अमीर शराबी के रूप में वे ख़ूब जंचे। बांगला वर्शन में मोतीलाल का रोल छबि बिश्वास ने किया था। उन्हें भी उतनी ही वाहवाही मिली थी।

‘जागते रहो’ में मेहमान भूमिका में नर्गिस भी थीं। राज कपूर – नर्गिस की अनूठी जोड़ी की यह अंतिम फ़िल्म थी। इसके बाद नर्गिस का आर के फ़िल्म्स से नाता टूट गया। 17 फ़िल्मों में साथ काम करने के बाद दोनों फ़िल्मों में और निजि जीवन में अलग हो गये। इस अंतिम फ़िल्म में नर्गिस के ऊपर केवल एक गीत फ़िल्माया गया था – ‘जागो मोहन प्यारे’ (बांगला में – ‘जागो मोहन प्रीतम जागो’)। दोनों ही भाषाओं में लता मंगेशकर के दिव्य कंठस्वर से निकल कर ये गीत अमर हो गया –

जागो मोहन प्यारे जागो
नवयुग चूमें नयन तिहारे

साभार:- श्री रवींद्रनाथ श्रीवास्तव जी।

Leave a comment

Verified by MonsterInsights