गीत – जाने कहाँ गये वो दिन
फ़िल्म – मेरा नाम जोकर
संगीतकार – शंकर जयकिशन
गीतकार – हसरत जयपुरी
गायक – मुकेश

राज कपूर की महत्वाकांक्षी फ़िल्म मेरा नाम जोकर (1970) में सितारों की एक लम्बी क़तार थी। राज कपूर के साथ मनोज कुमार, राजेन्द्र कुमार, धर्मेन्द्र, दारा सिंह, पद्मिनी, सिमी ग्रेवाल, रूसी अदाकारा क्षण राबिनकिना आदि। फ़िल्म की लम्बाई भी बहुत ज़्यादा थी जिस कारण इसमें दो इंटरवेल रखे गये थे। फ़िल्म का पहला भाग जिसमें किशोर ऋषि कपूर के साथ सिमी और मनोज कुमार थे अपने आप में एक सम्पूर्ण फ़िल्म थी। फ़िल्म के इस भाग को नामचीन निर्देशक सत्यजीत राय ने राज कपूर की सर्वोत्कृष्ट कृति बतलाया था।
दूसरा भाग सर्कस का था जिसमें रूसी नायिका राबिनकिना के साथ धर्मेन्द्र और दारा सिंह थे। इस हिस्से में राज कपूर ने एक कैरेक्टर जादूगर का भी रखा था। उस रोल के लिये वे राज कुमार को साइन करना चाह रहे थे। पर राज कुमार इसके लिये तैयार नहीं हुये। उनका कहना था,’ इस भीड़ की कोई ज़रूरत नहीं है। फ़िल्म को हिट करने के लिये राज कपूर और राज कुमार ही काफ़ी हैं। सबको हटा दो तो मैं काम करूँगा।”यह कहाँ संभव था ? अतः कहानी का वह हिस्सा हटा दिया गया। संभवतः गायिका शारदा का गीत ‘मेरे अलीबाबा, मेरे अलीबाबा, तू अलबेला जादूगर, लुट जाने का लगता है डर, मैं तो चली बाबा’ कहानी के इस हिस्से के लिये रिकार्ड किया गया था। जो बाद में शामिल नहीं किया गया। फ़िल्म के निर्माण के दौरान गीतकार शैलेन्द्र का देहान्त हो गया था। वे इस फ़िल्म के लिये एक गीत का केवल मुखड़ा लिख पाये थे –
“जीना यहाँ, मरना यहाँ, इसके सिवा जाना कहाँ” उनकी मृत्यु के बाद इस गीत को उनके पुत्र शैली शैलेन्द्र ने पूरा किया था।

‘मेरा नाम जोकर’ के गीत ‘जाने कहाँ गये वो दिन, कहते थे तेरी याद में, नज़रों को हम बिछायेंगे’ के लिये गीतकार हसरत जयपुरी ने कई अंतरे लिखे थे जिनमें से कुछ चुन कर रिकार्ड कर लिये गये। जो दो अतिरिक्त अंतरे लिखे गये पर जिन्हें रिकार्डिंग के लिये नहीं चुना गया वो इस प्रकार हैं –

इस दिल के आशियाँ में अब
उनके ख़याल रह गये
तोड़ के दिल वो चल दिये
हम फिर अकेले रह गये ।

आँधियाँ ग़म की यूँ चली
सपने मेरे बिखर गये
आँसू भी मेरे कहने लगे
साथी तेरे किधर गये ।
इन अंतरों को मुकेश अपने स्टेज शोज़ में गाया करते थे ।
जाने कहाँ गये वो दिन
कहते थे तेरी राह में
नज़रों को हम बिछायेंगे 

साभार:- श्री रवींद्रनाथ श्रीवास्तव जी।

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