“सरकार” में राशिद  का किरदार निभाने वाले अभिनेता जाकिर हुसैन को आज किसी परिचय की जरूरत नहीं I ज़ाकिर हुसैन को उनके खलनायक और हास्य भूमिकाओं के लिए जाना जाता है। उन्हें श्रीराम राघवन की 2007 की फिल्म ‘जॉनी गद्दार‘ में शार्दुल और “सिंघम” रिटर्न में प्रकाश राव के किरदारों क लिए भी काफी सरहाना मिली। “साला खडूस” में देव खत्री के किरदार के कारण भी ये काफी चर्चा में है।

अभी फिलहाल Bollywoodirect को मौका मिला ज़ाकिर साहब से एक ख़ास गुफ्त-गू करने का। ये रहा उनसे  हुई बातचीत का सारांश …

Zakir Hussain in "Sarkaar"- Bollywoodirect
Zakir Hussain in “Sarkaar”

आपकी मेरठ से मुंबई तक की ये यात्रा काफी यादगार रही होगी| आपकी सिनेमा को ले कर ये रूचि कैसे आई ? 

1978 में पढ़ाई करने के लिए मेरठ (मेरठ से 17 K.M. दूर एक क़स्बा है “जानी-ख़ुर्द” ) से दिल्ली आया, 9th क्लास में admission हुआ| नया शहर, अलग शहर, पहली बार tv देखा वो भी tv बिकने वाली दुकान पर| फिर मेरे पिताजी एक B&W tv ले आए. सिर्फ दूरदर्शन आता था, वो भी 6 से 8 शाम को| सबकुछ देखते थे, कुछ जादू सा लगता था, चित्रहार, DD के नाटक, sunday जश्न का दिन होता था, फिल्म आती थी| बस दिमाग़ एक कीड़े ने जनम लिया कि फ़िल्में तो बम्बई में बनती हैं, वहां तो जा नहीं सकता, DD के नाटक में कैसे जाया जाए ? ढूंढते –ढूंढते मंडी हाउस का पता चला, एक दोस्त मंडी-हाउस ले चला, तब जाना कि थिएटर क्या होता है, उसी में रम गया, 1982, amature थिएटर शुरू| फिर श्री राम सेंटर से एक्टिंग कोर्स, फिर श्री राम सेंटर Repertory Company, फिर NSD, फिर NSD Repertory Company, फिर मुंबई| 

आपने देश के प्रतिश्ठित राष्ठ्रीय नाट्य संस्थान(NSD) से शिक्षा ग्रहण करी है| आपके लिए ये अनुभव कैसा रहा?

वो एक स्कूल नहीं है, एक जिंदा ख़ज़ाना है, NSD एक ऐसा स्कूल है जहाँ आप जो चाहें सीख सकते हैं| बहुत लोग मेरी बात से शायद इत्तेफ़ाक ना रखते हों, मगर मैंने बहुत कुछ सीखा|

छोटे परदे से शुरू हुए आपके सफर को बड़े परदे तक आने में थोड़ा वक़्त लगा| इसकी कोई ख़ास वजह?

मैं जो जिस वक़्त जो कर रहा होता हूँ उसको पूरी तरह enjoy करता हूँ| वक़्त के हिसाब से सब एक के बाद एक होता गया|

रामगोपाल वर्मा की “सरकार’ फिल्म में आपके किरदार को समीक्षकों और जनता की बहुत सरहाना मिली| क्या आपको लगता है की इस किरदार ने आपके फ़िल्मी जीवन को नयी दिशा दिखाई?

Not only path breaking, ये मेरी पहली फिल्म थी | बहुत प्यार और सराहना मिली, बहुत शुक्रिया सबका |

किसी भी किरदार को निभाने के लिए आप किस तरह की तैयारी करते है?

Preparation is must for each and every character. अपने experience और observation के भण्डार से चीज़ें निकाल कर जोड़ता चला जाता हूँ |

युद्ध” के आनंद उपाध्याय को बहुत ही तारीफ़ मिली| आपके लिए अमिताभ बच्चन और अनुराग कश्यप के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?

बच्चन साहब के साथ ये मेरा दूसरा काम था| उनके साथ काम करने का experience कैसा था? इसके लिए मेरे क्या, film industruy में किसी के पास भी शब्द नहीं होंगे, वे तो अपने आप में भण्डार हैं | अनुराग पुराने मित्र हैं, हम शुरू के दिनों के साथी हैं, हमने एक-दुसरे को साथ-साथ grow करते पाया है|

 

Zakir Hussain in "Yudh" - Bollywoodirect
Zakir Hussain in “Yudh”

किसी भी किरदार को निभाने के लिए सबसे जरुरी चीज़ क्या है?

Realstic observation , सबसे जरुरी चीज़ है जो की, ज़िन्दगी के उतार-चढ़ाव और काम करते रहने से आता है| अपने अनुभव से ही एक्टर को सीखना चाहिए, सबसे पहले उसे अपने आप को observe करना चाहिए| उसके बाद तो अपने आप को छोडकर पूरी दुनिया ही characters से भरी पड़ी है |

“साला खडूस” में काम करना कैसा रहा?

Superb एंड superb is the only word. सुधा बहुत समझदार लेखिका और निर्देशिका हैं| राजू हिरानी जी का input फिल्म को और ही level पर ले गया| माधवन बहुत अच्छे एक्टर हैं|

आप युवा कलाकारों को क्या सलाह देना चाहेंगे?

जल्दी में ना रहो, सब्र रखो और मेहनत करो, पढ़ते-लिखते रहो, अपने अंदर के talent को पहचानों और निकल पड़ो|

 

 

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