गीत – रसिक बलमा हाय, दिल क्यूँ लगाया तोसे, जैसे रोग लगाया
फ़िल्म – चोरी चोरी (1956)
संगीतकार – शंकर जयकिशन
गीतकार – हसरत जयपुरी
गायिका – लता मंगेशकर

हॉलीवुड हिट फ़िल्म ‘इट हैपण्ड वन नाइट’ (It happened one night, 1934) से प्रेरणा ले कर कई हिन्दी फ़िल्में बनीं। 1956 में ए व्ही एम प्रोडक्शन ने ‘चोरी चोरी’ फ़िल्म बनाई थी जो मूल फ़िल्म की फ़्रेम टू फ़्रेम नक़ल थी। राजकपूर और नर्गिस की जोड़ी की नायक नायिका के रूप में यह अंतिम फ़िल्म थी। राज खोसला निर्देशित ‘सोलहवां साल‘ (1958, देव आनन्द, वहीदा रहमान) की कहानी भी ‘इट हैपण्ड वन नाइट’ से प्रेरित थी। हालाँकि यह फ़्रेम टू फ़्रेम कॉपी नहीं थी। निर्माता गुलशन कुमार और निर्देशक महेश भट्ट ने फिर इस कहानी को ‘दिल है कि मानता नहीं‘ (1991, आमिर खान, पूजा भट्ट) बना कर भुनाया था।

राज खोसला- हिंदी सिनेमा के असली “हिचकॉक”

फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड्स का आरंभ 1954 में हुआ। शुरुआत में एक गीत को चुन कर सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का अवार्ड दिया जाता था। 1954 में फ़िल्म ‘बैजू बावरा‘ के गीत ‘तू गंगा की मौज मैं जमना का धारा’ (मोहम्मद रफ़ी, शकील बदायूंनी) के लिये नौशाद को पहला (और इकलौता) फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड मिला था। 1955 में एस डी बर्मन ने यह अवार्ड ‘टैक्सी ड्राइवर’ के गीत ‘जायें तो जायें कहाँ’ (तलत महमूद, साहिर लुधियानवी) के लिये जीता। 1956 से सर्वश्रेष्ठ संगीत का अवार्ड किसी फ़िल्म के सम्पूर्ण एल्बम को देने की परम्परा शुरु हुयी और उस वर्ष यह अवार्ड फ़िल्म ‘नागिन‘ के लिये हेमन्त कुमार के पास गया।

Sahir Ludhianvi- Rare Pics

1957 का सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड फ़िल्म ‘चोरी चोरी’ के लिये शंकर जयकिशन को मिलने की घोषणा हुयी। फ़िल्मफ़ेयर ने उनसे ‘अवार्ड नाइट’ पर ‘चोरी चोरी’ के गीत प्रस्तुत करने का प्रस्ताव रखा। प्रसन्नता से भरे जयकिशन ने लता मंगेशकर को यह सूचना दी और उनसे स्टेज पर ‘ सिक बलमा’ गीत गाने का अनुरोध किया। लता मंगेशकर ने वह प्रस्ताव ठुकरा दिया। उनका तर्क था कि फ़िल्मफ़ेयर यह अवार्ड सर्वश्रेष्ठ संगीतकार को दे रहा है। गीतकार और गायक को यह पुरस्कार नहीं दिये जा रहे हैं। ”आप लोग स्टेज पर आर्केस्ट्रा में अपनी धुन बजायें। मैं नहीं गाऊँगी क्योंकि मुझे अवार्ड नहीं मिला है”, लता मंगेशकर का स्पष्ट उत्तर था। शंकर ने भी समझाने का भरसक प्रयत्न किया किन्तु लता ने अपना निर्णय नहीं बदला।

लता मंगेशकर के तर्क में दम था। 1959 से फ़िल्मफ़ेयर को सर्वश्रेष्ठ गीतकार और गायक को भी अवार्ड देना शुरू करना पड़ा। पहला सर्वश्रेष्ठ गीतकार का अवार्ड शैलेंद्र को फ़िल्म ‘यहूदी’ के गीत ‘ये मेरा दीवानापन है’ के लिये मिला तथा पहला सर्वश्रेष्ठ गायकी का अवार्ड फ़िल्म ‘मधुमती‘ के गीत ‘आ जा रे परदेसी’ के लिये लता मंगेशकर के नाम गया। हालाँकि महिला और पुरुष गायकी के लिये अलग अलग फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड का आरंभ 1967 में जा कर शुरू हो सका।

साभार:- श्री रवींद्रनाथ श्रीवास्तव जी।

Leave a comment

Verified by MonsterInsights