गीत- तक़दीर का फ़साना जा कर किसे सुनायें
इस दिल में जल रही हैं अरमान की चितायें
फ़िल्म- सेहरा (1963)
संगीतकार- रामलाल
गीतकार- हसरत जयपुरी
गायक- मोहम्मद रफ़ी/लता मंगेशकर

संगीतकार रामलाल ‘सेहरा’ तथा ‘गीत गाया पत्थरों ने‘ इन दो फ़िल्मों के सुरीले गीतों के लिये याद किये जाते हैं। उनका पूरा नाम रामलाल चौधरी था। वे एक निपुण बाँसुरी एवं शहनाई वादक थे। ‘आग‘, ‘मुगले आज़म‘, ‘नवरंग‘ आदि फ़िल्मों में उन्होंने ये वाद्य बजाये थे। संगीतकार राम गांगोली (आग) के वे सहायक रह चुके थे। स्वतंत्र संगीतकार के रूप में उनकी पहली प्रदर्शित फ़िल्म ‘हुस्नबानो‘(1956) थी। इसके अतिरिक्त ‘नागलोक‘, ‘नक़ाबपोश‘, ‘माया मछेन्द्रा‘ फ़िल्मों में उन्होंने ‘रामलाल हीरा पन्ना‘ के नाम से संगीत दिया था। कहा जाता है कि वे एक कान में हीरा तथा दूसरे कान में पन्ना पहनते थे इस कारण उनका नाम रामलाल हीरापन्ना पड़ गया था। ‘सेहरा’ की सफलता के बाद उन्होंने दक्षिण (मुख्यत: कन्नड़) की फ़िल्मों में ‘रामलाल सेहरा’ के नाम से संगीत दिया। कई बड़े नाम रामलाल के संगीत सहायक रहे जैसे – पंडित शिवकुमार शर्मा (सेहरा) , पंडित हरि प्रसाद चौरसिया (गीत गाया पत्थरों ने) , लक्ष्मीकांत प्यारेलाल (माया मछेन्द्रा) और कल्याणजी आनन्दजी (नागलोक)।

फ़िल्म- ‘सेहरा’ में संध्या, प्रशांत, मुमताज़ आदि प्रमुख कलाकार थे। नायक प्रशांत इसके बाद केवल एक फ़िल्म ‘द एडवेंचर्स आॅफ राबिनहुड‘ में दिखलाई पड़े। हीरो जीतेन्द्र ने इस फ़िल्म में जूनियर आर्टिस्ट की तरह एक से अधिक रोल किये थे। यहाँ तक कि कुछ दृश्यों में वे नायिका संध्या के डुप्लीकेट के तौर पर भी थे। ‘गीत गाया पत्थरों ने’ में जीतेन्द्र व राजश्री नायक नायिका के रूप में पहली बार सामने आये। राजश्री इससे पहले फ़िल्म – ‘सुबह का तारा‘ (गीत-भाभी आई) में बाल भूमिका में तथा फ़िल्म – ‘स्त्री‘ (गीत – बसंत है आया रंगीला) में राजनर्तकी के रूप में काम कर चुकी थीं।

निर्माता , निर्देशक व्ही शांताराम की फ़िल्मों का संगीत पक्ष सदैव सशक्त रहा। उनकी फ़िल्मों में ‘नवरंग‘ के बाद महेन्द्र कपूर प्रमुखता से गा रहे थे। ‘सेहरा’ के गीत भी उन्हीं की आवाज़ में रिकार्ड कराने की योजना थी। लेकिन रामलाल चाहते थे कि मोहम्मद रफ़ी इन गीतों को गायें। विशेषतः ‘तक़दीर का फ़साना’ गीत वे सोचते थे कि  रफी ही इस गीत के साथ न्याय कर पायेंगे। उनके अनुरोध पर अन्ततः शांताराम साहब भी सहमत हो गये। यह ‘टैण्डम सांग’ अपने दो पहलू में मोहम्मद रफ़ी और लता मंगेशकर की आवाज़ों में अलग अलग है। दोनों ही वर्शन मधुर एवं मर्मस्पर्शी बन पड़े हैं। बाद में ‘ सेहरा ‘ के सभी गीत मोहम्मद रफ़ी ने गाये।

साभार:- श्री रवींद्रनाथ श्रीवास्तव जी।

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