गीत – लागी नाहीं छूटे राम चाहे जिया जाये
फ़िल्म – मुसाफ़िर (1957)
संगीतकार – सलिल चौधरी
गीतकार – शैलेन्द्र
गायक – दिलीप कुमार, लता मंगेशकर

‘मुसाफ़िर’ हृषिकेश मुखर्जी की बतौर निर्देशक पहली फ़िल्म थी। इससे पहले वे बिमल राय की फ़िल्मों के सहायक निर्देशक और एडीटर हुआ करते थे। दिलीप कुमार की सलाह पर वे स्वतंत्र निर्देशक बनने तैयार हुये थे। दिलीप कुमार उनके लिये अपनी पारश्रमिक राशि में भी समझौता करने तैयार हो गये थे।

‘मुसाफ़िर’ एक फ़िल्म में तीन कहानियाँ थीं। एक मकान में पारी पारी से तीन परिवार किरायेदार के रूप में रहने आते हैं, ये फ़िल्म इन तीनों परिवारों की कहानी थी। पहले अंक में सुचित्रा सेन और शेखर, दूसरे अंक में किशोर कुमार और निरूपा राय तथा तीसरे और अंतिम अंक में दिलीप कुमार और उषा किरण थे। यह लीक से हट कर एक अलग क़िस्म की फ़िल्म थी। हृषिकेश मुखर्जी ने लगभग 42 फ़िल्मों का निर्देशन किया, इनमें से अधिकांश फ़िल्में व्यावसायिक मसाला फ़िल्म और शुद्ध आर्ट फ़िल्म के बीच ‘मध्य मार्ग’ वाली थीं। जिन्हें दर्शकों ने ख़ूब सराहा।

किशोर कुमार का गाया एक बड़ा प्यारा गीत इस फ़िल्म में था – ‘मुन्ना बड़ा प्यारा, अम्मी का दुलारा, कोई कहे चाँद कोई आँख का तारा‘। एक अन्य गीत में गीतकार शैलेन्द्र पर्दे पर भी नज़र आते हैं। ‘टेढ़ी टेढ़ी हमसे फिरे सारी दुनिया‘ गीत उन पर फ़िल्माया गया था। उनके साथ इस गीत में हास्य कलाकार केष्टो मुखर्जी भी दिखलाई पड़े थे। केष्टो की यह पहली हिन्दी फ़िल्म थी। शैलेन्द्र बाद में फ़िल्म ‘बूट पाॅलिश’ (1964) में भी एक गीत में अभिनय करते सामने आये थे। वह प्रसिद्ध गीत था – ‘चली कौन से देश, गुजरिया तू सजधज के‘।

‘मुसाफ़िर’ की सबसे विशेष बात यह थी कि इस फ़िल्म में एक युगलगीत दिलीप कुमार और लता मंगेशकर ने गाया था। बहूत बाद में ‘सगीना’ के एक गीत ‘ऊपरवाला दुखियों की नाहीं सुनता रे’ में किशोर कुमार के साथ दिलीप कुमार की आवाज़ सुनाई दी थी लेकिन वह ‘मुसाफ़िर’ के गीत जैसी विशुद्ध गायकी नहीं थी।

फ़िल्म ‘मुसाफ़िर’ का यह गीत अभिनय सम्राट दिलीप कुमार और सुरों की साम्राज्ञी लता मंगेशकर के युगल स्वरों में एक अनमोल रचना है। इसे शब्दों में बखान करना एक दुष्कर कार्य है। सलिल दा के संगीत में निबद्ध गीतकार शैलेन्द्र के इस गीत को सुन कर ही आप इसके महत्व को समझ सकते हैं – ‘लागी नाहीं छूटे रामा, चाहे जिया जाये’

साभार:- श्री रवींद्रनाथ श्रीवास्तव जी

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