गीत – महलों का राजा मिला
कि रानी बेटी राज करेगी ,
ख़ुशी ख़ुशी कर दो बिदा
तुम्हारी बेटी राज करेगी ।
फ़िल्म – अनोखी रात (1968)
संगीतकार – रोशन
गीतकार – इन्दीवर
गायिका – लता मंगेशकर
निर्देशक असित सेन अपनी उच्च स्तरीय, कलात्मक फ़िल्मों के लिये याद किये जाते हैं। उनका कैरियर बांगला फ़िल्मों से शुरू हुआ फिर उन्होंने हिन्दी में ‘ममता‘ (सुचित्रा सेन, अशोक कुमार, धर्मेन्द्र), ‘ख़ामोशी‘ (वहीदा रहमान, राजेश खन्ना), ‘सफ़र‘ (राजेश खन्ना, शर्मीला टैगोर, फ़िरोज़ खान), अन्नदाता (जया भादुड़ी, अनिल धवन) आदि फ़िल्मों का निर्देशन किया। ये सभी फ़िल्में अपने सशक्त नारी पात्रों के लिये आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करती हैं।
हिन्दी फ़िल्मों में एक असित सेन हास्य कलाकार भी अत्यन्त लोकप्रिय रहे हैं। फ़िल्म ‘बीस साल बाद‘ के बाद वे उस फ़िल्म के चरित्र ‘गोपीचन्द जासूस‘ के नाम से बड़े प्रसिद्ध हो गये थे। यही कामेडियन असित सेन निर्माता, निर्देशक बिमल राय के सहयोगी रहे थे तथा उन्होंने बिमल राय प्रोडक्शन की दो फ़िल्मों ‘परिवार‘ (1956, उषा किरण, दुर्गा खोटे ) तथा ‘अपराधी कौन‘ (1957, माला सिन्हा, अभि भट्टाचार्य) का निर्देशन किया था। सामान्यतः लोग भ्रमवश इन दोनों फ़िल्मों का श्रेय भी ‘ममता’ वाले निर्देशक असित सेन को दे देते हैं।
‘ममता’ के बाद निर्देशक असित सेन की दूसरी हिन्दी फ़िल्म ‘अनोखी रात‘ थी जिसके लेखक हृषिकेश मुखर्जी थे। यह एक ब्लैक एण्ड व्हाइट, सीधी-सरल और हृदयस्पर्शी फ़िल्म थी। संजीव कुमार के साथ डबल रोल में नायिका थीं ज़ाहिदा। ज़ाहिदा की यह पहली फ़िल्म थी। ज़ाहिदा, नर्गिस के सौतेले भाई प्रोड्यूसर अख़्तर हुसैन की बेटी हैं।
‘अनोखी रात‘ परीक्षित साहनी की भी वयस्क भूमिका में पहली फ़िल्म थी। बचपन में वे फ़िल्म ‘दीदार‘ (दिलीप कुमार, नर्गिस, निम्मी) में काम कर चुके थे। उस फ़िल्म का मधुर गीत ‘हो बचपन के दिन भुला न देना, आज हँसे कल रुला न देना‘ परीक्षित साहनी और बेबी तबस्सुम पर फ़िल्माया गया था। ‘अनोखी रात’ में संजीव कुमार की सलाह पर उन्होंने अपना स्क्रीन नाम बदल कर अजय साहनी रख लिया था। उनकी आरंभिक कुछ फ़िल्में अजय साहनी के नाम से ही थीं। बाद में वे फिर से अपने असली नाम परीक्षित साहनी पर लौट गये थे।
फ़िल्म ‘अनोखी रात’ संगीतकार रोशन के संगीत से सजी अंतिम फ़िल्म थी। इसके अधिकांश गीतों की रिकार्डिंग पूरी हो चुकी थी। अंतिम गीत की धुन फ़ाइनल हो गयी थी , केवल रिकार्डिंग बाक़ी थी। उस समय ही घातक दिल के दौरे में उनका देहान्त (16/11/1967) हो गया। रोशन साहब की अंतिम बिदाई के कुछ दिनों बाद उनकी पत्नी इरा रोशन जी ने उस गीत की रिकार्डिंग लता मंगेशकर से अपनी देखरेख में पूरी करवाई –
‘महलों का राजा मिला
कि रानी बेटी राज करेग ,
ख़ुशी ख़ुशी कर दो बिदा
तुम्हारी बेटी राज करेगी।’
साभार:- श्री रवींद्रनाथ श्रीवास्तव जी।