गीत – बुरा लगता है लगे दुनिया को
अपनी मर्ज़ी से जिऊँगा मैं तो
फ़िल्म – मनमौजी ( 1962 )
संगीतकार – मदन मोहन
गीतकार – राजेन्द्र कृष्ण
गायक – किशोर कुमार
‘भाई भाई‘ (1956) संगीतकार मदन मोहन की पहली हिट फ़िल्म थी। उस फ़िल्म के सुरीले गीत आज भी याद किये जा सकते हैं – क़दर जाने ना मोरा बालम बेदर्दी, अय दिल मुझे बता दे तू किस पे आ गया है, इस दुनिया में सब चोर चोर, मेरा छोटा सा देखो ये संसार है इत्यादि। 1956 मदन मोहन अपने लिये भाग्यशाली मानते थे। उस वर्ष ही उनके पहले बेटे संजीव कोहली का जन्म हुआ था। ‘भाई भाई’ ए व्ही एम प्रोडक्शन की फ़िल्म थी । इस प्रोडक्शन की ‘मनमौजी’ (1962) और ‘पूजा के फूल’ (1964) में भी मदन मोहन का संगीत था। पर ये दोनों फ़िल्में टिकिट खिड़की पर अधिक सफल नहीं हुईं।
‘मनमौजी’ में किशोर कुमार, साधना, प्राण, नाज़ आदि कलाकारों ने अभिनय किया था। मदन मोहन व लता मंगेशकर के साथ ने सदैव मधुर गीत दिये। इस फ़िल्म में भी ‘मैं तो तुम संग नैन मिला कर हार गयी सजना’, और ‘चंदा जा रे जा काहे आया है अकेला’ जैसे मीठे गीत थे। किशोर कुमार का मस्ती से भरपूर ‘ज़रूरत है ज़रूरत है एक श्रीमती की कलावती की’ गीत मदन मोहन के संगीत की विविधता का एक अनूठा नमूना है।
फ़िल्म ‘भाई भाई’ में किशोर कुमार और लता मंगेशकर का एक गीत बड़ा हिट रहा था – ‘मेरा नाम अब्दुल रहमान, पिश्तेवाला मैं हूँ पठान’ जो किशोर कुमार और निम्मी पर फ़िल्माया गया था। निर्देशक कृष्णन पंजू ने उस गीत की लोकप्रियता भुनाने के लिये ‘मनमौजी’ में ‘एक था अब्दुल रहमान, एक थी अब्दुल रहमनिया, अब मैं हूँ एक मनमौजी तू बन जा मनमौजनिया’ गीत बनवाया था। पर वह गीत अधिक नहीं चला।
फ़िल्म ‘मनमौजी’ में किशोर कुमार का गाया हुआ एक और गीत था जिसे फ़िल्म का टाइटिल सांग कहा जा सकता था। पर उस गीत के बोलों पर सेंसर बोर्ड को आपत्ति थी। बोर्ड के सदस्यों को लगा कि यह गीत सारे नियम, क़ायदे क़ानून तोड़ कर अपनी मर्ज़ी से जीने का ग़लत संदेश दे रहा है। उस आपत्ति के कारण यह गीत फ़िल्म से हटाना पड़ा –
बुरा लगता है लगे दुनिया को
अपनी मर्ज़ी से जिऊँगा मैं तो।
सीधी चाल चलूँ या टेढ़ी
मैं मनमौजी दीवाना
भरे हुये मैखाने छोड़ूँ, ले लूँ ख़ाली पैमाना
जिस हाल में हूँ अच्छा हूँ
क्या लेना मुझे दुनिया से
बुरा लगता है लगे दुनिया को
अपनी मर्ज़ी से जिऊँगा मैं तो।
साभार:- श्री रवींद्रनाथ श्रीवास्तव जी।