कभी न कभी , कहीं न कहीं , कोई न कोई तो आयेगा- शराबी (1964) गीत – कभी न कभी , कहीं न कहीं , कोई न कोई तो आयेगा…
छलके तेरी आँखों से शराब और ज़्यादा-आरज़ू (1965) गीत – छलके तेरी आँखों से शराब और ज़्यादा खिलते रहें होंठों के गुलाब और…