छू लेने दो नाज़ुक होंठों को कुछ और नहीं हैं जाम हैं ये- काजल (1965) गीत – छू लेने दो नाज़ुक होंठों को कुछ और नहीं हैं जाम हैं ये…
मुझे तुमसे मोहब्बत है मगर मैं कह नहीं सकता, मगर मैं क्या करूँ बोले बिना भी रह नहीं सकता- बचपन ( 1963 ) गीत – मुझे तुमसे मोहब्बत है मगर मैं कह नहीं सकता मगर मैं क्या करूँ…