वक़्त, सफ़र की तरह मसलसल, सब्र, इंतज़ार की तरह ख़ामोश और शोहरत, क़िस्मत की तरह…
“इश्क़ में गुफ़्तगू मुझको, सहल रही तब तक मतले से मक़ते के दरम्यां, ग़ज़ल रही…
वक़्त, सफ़र की तरह मसलसल, सब्र, इंतज़ार की तरह ख़ामोश और शोहरत, क़िस्मत की तरह…
“इश्क़ में गुफ़्तगू मुझको, सहल रही तब तक मतले से मक़ते के दरम्यां, ग़ज़ल रही…