छलके तेरी आँखों से शराब और ज़्यादा-आरज़ू (1965) गीत – छलके तेरी आँखों से शराब और ज़्यादा खिलते रहें होंठों के गुलाब और…
क़समें हम अपनी जान की खाये चले गये फिर भी वो एतबार ना लाये चले गये-मेरे ग़रीबनवाज़ (1973) गीत – क़समें हम अपनी जान की खाये चले गये फिर भी वो एतबार ना…