क़समें हम अपनी जान की खाये चले गये फिर भी वो एतबार ना लाये चले गये-मेरे ग़रीबनवाज़ (1973) गीत – क़समें हम अपनी जान की खाये चले गये फिर भी वो एतबार ना…
मन रे तू काहे ना धीर धरे, वो निर्मोही मोह न जाने जिनका मोह करे – चित्रलेखा ( 1964 ) गीत – मन रे तू काहे ना धीर धरे वो निर्मोही मोह न जाने जिनका…