गीत – अय मेरी टोपी पलट के आ
न अपने फ़ण्टूश को सता
फ़िल्म – फ़ण्टूश (1956)
संगीतकार – एस डी बर्मन
गीतकार – साहिर लुधियानवी
गायक – किशोर कुमार
‘फ़ण्टूश‘ बनाने से पहले निर्देशक चेतन आनन्द नवकेतन फ़िल्म्स के लिये ‘ अफ़सर ‘(1950) और ‘टैक्सी ड्राइवर‘ (1954) जैसी सफल फ़िल्में बना चुके थे। ‘फ़ण्टूश’ की नामावली के साथ एनीमेटेड पात्र/कार्टून दिखाने का प्रयोग पहली बार उन्होंने किया था। देव आनन्द के साथ शीला रमानी इस फ़िल्म की मुख्य भूमिका में थीं।
सहायक कलाकारों में के एन सिंह और कुमकुम थे । एक गीत ‘देने वाला जब भी देता, पूरा छप्पर फाड़ के देता’ में महमूद भी नज़र आते हैं लेकिन फ़िल्म के क्रेडिट्स में उनका नाम नज़र नहीं आता। यह उनकी आरंभिक फ़िल्मों में एक थी। सचिनदेव बर्मन का मधुर संगीत फ़िल्म का एक उल्लेखनीय पहलू था। ‘दुखी मन मेरे सुन मेरा कहना’, ‘वो देखें तो उनकी इनायत, ना देखें तो रोना क्या’ जैसे प्यारे गीत आज भी मन को लुभाते हैं।
आशा भोंसले का गाया गीत ‘प्यार ने कितने सपने देखे, आस ने कितने गीत बुने’ फ़िल्म से बाद में काट दिया गया था। ‘फ़ण्टूश ‘ के बाद चेतन आनन्द नवकेतन फ़िल्म्स से अलग हो गये थे। उन्होंने अपनी अलग प्रोडक्शन कम्पनी ‘हिमालया फ़िल्म्स‘ स्थापित कर ली थी। अंग्रेज़ी अक्षर ‘एच’ से शुरू होने वाली कई फ़िल्में उन्होंने बनायीं जैसे –हक़ीक़त (1964), हीर रांझा (1970), हँसते ज़ख़्म (1973), हिन्दुस्तान की क़सम (1973), हाथों की लकीरें (1986) इत्यादि । इनके अलावा आख़री ख़त (1966) और क़ुदरत (1981) फ़िल्मों का निर्माण भी उन्होंने किया। ‘आख़री ख़त’ के अलावा अन्य सब फ़िल्मों में उनकी नायिका प्रिया राजवंश रहीं।
Kishore Kumar Live In Filmfare Night
‘फ़ण्टूश’ के सहायक निर्देशक चेतन आनन्द और देव आनन्द के छोटे भाई विजय आनन्द थे। ‘अय मेरी टोपी पलट के आ’ के फ़िल्मांकन के समय चेतन आनन्द की तबीयत ख़राब थी अत: यह गीत विजय आनन्द के निर्देशन में फ़िल्माया गया था। इस गीत की एक और विशेषता है। यद्यपि फ़िल्म के आधिकारिक संगीतकार सचिनदेव बर्मन थे, इस गीत की धुन उनके किशोर वयस पुत्र राहुलदेव बर्मन (पंचम) ने बनायी थी।
साभार:- श्री रवींद्रनाथ श्रीवास्तव जी।