गीत – दुख भरे दिन बीते रे भैय्या
फ़िल्म – मदर इण्डिया
गायक – शमशाद बेगम, आशा भोंसले, मोहम्मद रफी, मन्ना डे और साथी
गीतकार – शकील बदायूंनी
संगीतकार – नौशाद

फ़िल्म -‘मदर इंडिया’ (1957) महबूब खान साहब की पुरानी फ़िल्म –‘औरत’ (1940) का रीमेक थी । ‘औरत’ की नायिका सरदार अख़्तर थीं जिनसे बाद में महबूब खान ने शादी कर ली थी। इस फ़िल्म के अन्य कलाकार थे – याकूब , सुरेन्द्र , अरुण कुमार (गोविन्दा के पिताजी) और कन्हैया लाल। ‘मदर इंडिया ‘ में इनमें से केवल कन्हैया लाल अपनी सुक्खी लाला की भूमिका निभाते हुये फिर से नज़र आये थे। ‘औरत’ का संगीत अनिल विश्वास साहब ने तैय्यार किया था।

‘मदर इंडिया’ के संगीतकार नौशाद थे। उनके संगीतबद्ध सभी गीत लगभग छः दशक बाद आज भी उतने ही ताज़े और लुभावने लगते हैं। इस फ़िल्म का एक अत्यन्त सुरीला गीत है – ‘दुख भरे दिन बीते रे भैय्या’ जिसे चार प्रमुख गायकों – शमशाद बेग़म, आशा भोंसले, मन्ना डे और मोहम्मद रफ़ी ने अपने स्वर दिये हैं। इसमें कोरस का भी बड़ा प्यारा उपयोग किया गया है। किस गायक ने कौन सी लाइन गाई है यह बतलाने के लिये पूरा गीत लिखना आवश्यक है और ‘आज का गीत’ इसे चुनने का कारण भी समझने में इससे मदद मिलेगी।

कोरस– दुख भरे दिन बीते रे भैय्या , अब सुख आयो रे
रंग जीवन में नया आलायो रे
शमशाद बेग़म – देख रे घटा घिर के आई
आशा भोंसले – रस भर भर लाई
मो रफी – छेड़ ले गोरी मन की बीना
मन्ना डे – रिमझिम रुत छाई
कोरस – प्रेम की गागर लाये रे बादल
बेकल मोरा जिया रे
अंतरा -2
आशा भोंसले – मधुर मधुर मनवा गाये
शमशाद बेग़म – अपने भी दिन आये
मन्ना डे – सावन के संग आये जवानी
मो रफ़ी – सावन के संग जाये
कोरस – आज तो जी भर नाच ले पागल
कल ना जाने रे क्या होये

गीत का पहला अंतरा फ़्लैश बैक में नर्गिस और राजकुमार पर फ़िल्माया गया है । कलाकार दो हैं पर गायक चार हैं । मतलब शमशाद बेग़म (देख रे घटा घिर के आई) और आशा भोंसले (रस भर भर लाई) दोनों की लाइनें नर्गिस ही गाती हैं। उसी तरह मो रफी (छेड़ ले गोरी मन की बीना ) और मन्ना डे (रिमझिम रुत छाई) दोनों गायकों की लाइनें राजकुमार पर फ़िल्माई गयी हैं।

दूसरा अंतरा राजेन्द्र कुमार और कुमकुम पर पिक्चराइज्ड है । इसमें भी आशा भोंसले (मधुर मधुर मनवा गाये) और शमशाद बेग़म (अपने भी दिन आये) दोनों गायिकाअों का प्लेबैक कुमकुम के लिये है और मन्ना डे (सावन के संग आये जवानी) और मोहम्मद रफ़ी (सावन के संग जाये) ने राजेन्द्र कुमार के लिये प्लेबैक दिया है। स्वयं ज़रा ध्यान से देखिये और सुनिये । पर इस बात से गीत के माधुर्य में कोई अंतर नहीं पड़ता है।

साभार:- श्री रवींद्रनाथ श्रीवास्तव जी।

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