मस्ती में छेड़ के तराना कोई दिल का
आज लुटायेगा ख़ज़ाना कोई दिल का
फ़िल्म – हक़ीक़त
संगीतकार – मदनमोहन
गीतकार – कैफ़ी आज़मी
गायक – मोहम्मद रफ़ी

चेतन आनन्द की भारत – चीन युद्ध पर आधारित फ़िल्म – ‘हक़ीक़त’ की अधिकांश शूटिंग लद्दाख के दुर्गम क्षेत्रों में हुई थी। मदनमोहन इस फ़िल्म के संगीतकार थे । लेकिन चेतन आनन्द उन्हें पर्दे पर भी ला कर यह गीत – ‘मस्ती में छेड़ के’ उन पर फ़िल्माना चाह रहे थे। फ़िल्मों में आने से पहले द्वितीय विश्व युद्ध के समय मदनमोहन सेना में सेकेण्ड लेफ्टीनेण्ट के पद पर काम कर चुके थे ।

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चेतन आनन्द के अनुसार वे एक फ़ौजी की भूमिका के लिये एकदम उपयुक्त थे। अपने फ़िल्मी जीवन के अारंभिक समय में मदनमोहन शहीद (1948) और मुनीम जी (1955) फ़िल्मों में छोटी छोटी भूमिकायें कर चुके थे। ‘मुनीम जी’ में वे नायिका नलिनी जयवंत के भाई बने थे। इन सब कारणों से पर्दे पर आने में उन्हें भी कोई एतराज़ न था और उन्होंने चेतन आनन्द का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया था। ‘हक़ीक़त’ की पूरी यूनिट लद्दाख में शूटिंग कर रही थी। मदनमोहन को बम्बई से जब लद्दाख पहुँचना था तो अनियमित विमान उड़ानों के कारण वे समय से लद्दाख लोकेशन पर नहीं पहुँच सके।

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उस समय लोकेशन पर चेतन आनन्द के छोटे भाई विजय आनन्द मौजूद थे । वे पहले ‘आगरा रोड’, ‘काला बाज़ार’ आदि फ़िल्मों में अभिनय कर चुके थे । मदनमोहन के समय से लोकेशन पर ना पहुँच पाने के कारण अन्ततः यह गीत विजय आनन्द पर फ़िल्मा लिया गया।

साभार:- श्री रवींद्रनाथ श्रीवास्तव जी

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