बिमल राय साहब की जन्मतिथि(12-07) पर विशेष 

गीत – जनगणमन अधिनायक जय हे
भारत भाग्य विधाता
फ़िल्म – हमराही (1945)/उदयेर पाथे (1944)
संगीतकार – आर सी बोराल
गीतकार – गुरुदेव रवीन्द्र नाथ ठाकुर
गायक – कोरस

भारत का राष्ट्रीय गान ‘वन्देमातरम्‘ तथा राष्ट्रीय गीत ‘जनगणमन’ दोनों ही फ़िल्मों का हिस्सा बन चुके हैं। बंगाल के नामचीन लेखक बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय ने जब 1882 में अपने उपन्यास ‘आनन्दमठ‘ में बांगला मिश्रित संस्कृत में ‘वन्देमातरम्’ गीत लिखा था तब शायद उन्होंने कल्पना न की होगी कि उनका यह गीत देश की आज़ादी की लड़ाई में एक प्रमुख भूमिका निभायेगा और आज़ाद भारत में सवा सौ साल से भी अधिक समय के बाद भी प्रासंगिक बना रहेगा। ब्रिटिश सरकार ने इस उपन्यास पर प्रतिबंध लगा दिया था। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हमारी सरकार ने इस पर से प्रतिबन्ध हटाया था।

‘आनन्दमठ’ पर फ़िल्मिस्तान ने 1952 में हेमेन गुप्ता के निर्देशन पर फ़िल्म बनाई थी। पृथ्वीराज कपूर, भारत भूषण, गीताबाली, प्रदीप कुमार, अजीत, मुराद आदि इसके प्रमुख कलाकार थे। प्रदीप कुमार की यह पहली फ़िल्म थी। इसी प्रकार हेमन्त कुमार की भी यह पहली हिन्दी फ़िल्म थी। उन्होंने ‘वन्देमातरम्’ गीत को एक ‘टैण्डम सांग’ के रूप में अपने संगीत में ढाला था। इस गीत के दो पहलू लता मंगेशकर तथा हेमन्त कुमार के स्वरों में हैं। लता जी का गाया गीत अधिक लोकप्रिय है।

फ़िल्म निर्देशक बनने से पहले बिमल राय सिनेमेटोग्राफ़र थे। 1935 में बनी फ़िल्म पी सी बरुआ की ‘देवदास‘ की सिनेमेटोग्राफ़ी उन्होंने की थी। उनके निर्देशन में सबसे पहले बांगला फ़िल्म ‘उदयेर पाथे’ (1944) बनी जिसे उन्होंने हिन्दी में भी ‘हमराही’ (1945) नाम से बनाया। इस फ़िल्म में राधा मोहन भट्टाचार्य और माया बसु ने अभिनय किया था। इन दोनों भाषाओं की फ़िल्म का सहलेखन (ज्योतिर्मय राय के साथ) तथा सिनेमेटोग्राफ़ी भी बिमल राय ने की थी।

स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले जब ‘जनगणमन’ गीत देश का राष्ट्रीय गीत नहीं बना था तब उस गीत को वृन्दगान रूप में बिमल राय ने अपनी फ़िल्म ‘हमराही/उदयेर पाथे’ में शामिल किया था। गीत की धुन स्वयं गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने बनाई थी और संगीत संयोजन रायचन्द बोराल का था।

देश का राष्ट्रगीत ‘जनगणमन’ गीत का केवल आरंभ का एक भाग घोषित हुआ। मूल गीत और बड़ा है तथा उसमें और अंतरे भी हैं। बिमल राय ने सम्पूर्ण गीत को अपनी फ़िल्म में शामिल किया था।

साभार:- श्री रवींद्रनाथ श्रीवास्तव जी एवं श्री पवन झा यूट्यूब चैनल 

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