तक़दीर का फ़साना जा कर किसे सुनायें इस दिल में जल रही हैं अरमान की चितायें – सेहरा (1963) गीत- तक़दीर का फ़साना जा कर किसे सुनायें इस दिल में जल रही हैं अरमान…
चाहूँगा मैं तुझे साँझ सबेरे , फिर भी कभी अब नाम को तेरे , आवाज़ मैं न दूँगा- दोस्ती (1964) गीत – चाहूँगा मैं तुझे साँझ सबेरे , फिर भी कभी अब नाम को तेरे,…