गीत – राही था मैं आवारा, फिरता था मारा मारा
फ़िल्म – साहब बहादुर (1977)
संगीतकार – मदन मोहन
गीतकार – राजेन्द्र कृष्ण
गायक – किशोर कुमार

देव आनन्द और उनके बड़े भाई चेतन आनन्द ने मिल कर अपनी प्रोडक्शन कम्पनी ‘नवकेतन‘ 1949 में बनाई। केतन आनन्द चेतन आनन्द के बड़े बेटे हैं। उनके नाम पर ही कम्पनी का नाम ‘नवकेतन’ रखा गया था। नवकेतन की पहली फ़िल्म ‘अफ़सर‘ (1950) का निर्देशन चेतन आनन्द ने किया था तथा देव आनन्द व सुरैया उसके मुख्य कलाकार थे। सचिन देव बर्मन के संगीत में सुरैया के गाये गीत सुधी दर्शकों को आज भी याद होंगे – मनमोर हुआ मतवाला ये किसने जादू डाला, नैन दीवाने इक नहीं माने करें मनमानी माने ना आदि। ‘अफ़सर’ फ़िल्म निकोलाई गोगोल के नाटक ‘द गवर्मेण्ट इन्सपेक्टर‘ पर आधारित थी।

उसी कहानी पर चेतन आनन्द ने 1977 में फिर फ़िल्म बनाई ‘साहब बहादुर‘। इस बार देव आनन्द के साथ नायिका थीं प्रिया राजवंश। संगीत मदनमोहन का था। मदनमोहन ने एक गीत तैयार किया था और उसे किशोर कुमार की आवाज़ में रिकार्ड होना था। रिकार्डिंग से पहले वे चाहते थे कि किशोर कुमार कुछ रिहर्सल कर लें। पर किशोर कुमार उन दिनों इतने व्यस्त थे कि समय ही नहीं निकाल पा रहे थे। लगभग एक महीने तक इंतज़ार करने के बाद मदनमोहन खीझ गये। उन्होंने अपनी आवाज़ में गाने को टेप किया और वह टेप किशोर कुमार को भिजवा दिया। गाने के अंत में उन्होंने मज़ाक़ में किशोर कुमार के लिये एक संदेश भी रिकार्ड कर दिया था -‘ऐ बंगाली, मेरा गाना ध्यान से सुनना और अच्छे से रिहर्सल करके आना। गाना ख़राब नहीं होना चाहिये।’

दैवयोग से उसके बाद मदनमोहन साहब का देहान्त हो गया। उनकी मृत्यु के लगभग एक माह बाद इस गीत की रिकार्डिंग हुई। रिकार्डिंग के समय भावुक हो कर किशोर कुमार ने यह सारा क़िस्सा सबको सुनाया। फ़िल्म ‘साहब बहादुर’ का वह गीत था – राही था मैं आवारा, फिरता था मारा मारा, तेरे शहर में आ कर एक दिन, चमका तक़दीर का तारा।

साभार:- श्री रवींद्रनाथ श्रीवास्तव जी।

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