गीत – ये नीर कहाँ से बरसे है
ये बदरी कहाँ से आई है
फ़िल्म – प्रेम पर्वत (1973)
संगीतकार – जयदेव
गीतकार – पद्मा सचदेव
गायिका – लता मंगेशकर

पद्मा सचदेव डोगरी की एक प्रतिष्ठित कवियित्री हैं। पिछले पचास वर्षों से उनकी लता मंगेशकर से मित्रता है। उन्होंने एक पुस्तक लिखी है ‘लता मंगेशकर – ऐसा कहाँ से लाऊँ‘। नसरीन मुन्नी कबीर ने लता मंगेशकर से कई मुलाक़ातों में लम्बे लम्बे साक्षात्कार लिये। लता जी ने उन्हें बड़े विस्तार से अपनी जीवनयात्रा के बारे में बताया और फलस्वरूप किताब सामने आई- ‘Lata Mangeshkar…in her own voice’. इन दोनों ही पुस्तकों में ज़िक्र है कि साठ के दशक में लता जी की तबीयत ख़राब रहने लगी थी। एक दिन उन्हें हरे रंग की उल्टी हुई। डॉक्टर ने आ कर जाँच कर बताया कि उन्हें खाने में धीमा ज़हर दिया जा रहा है। छोटी बहन उषा मंगेशकर तत्काल रसोईघर पहुँची और उन्होंने घोषणा कर दी कि अब से खाना वे ही बनायेंगीं। उनका रसोइया जो सारे हालात देख रहा था, चुपचाप घर से निकल गया और फिर कभी हिसाब कर अपने बक़ाया पैसे भी लेने नहीं आया। यह बात कभी सामने नहीं आई कि वह किसके इशारे पर यह सब कर रहा था।

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पद्मा सचदेव मूलत: जम्मू की निवासी हैं और उनकी मातृभाषा डोगरी है। उनकी दिली इच्छा थी कि लता मंगेशकर, जिन्होंने अनेक भाषाओं में गीत गाये हैं, वे डोगरी में भी गीत गायें। लता जी भी तैयार थी। पर एच एम व्ही के विजय किशोर दुबे के हिसाब से यह एक घाटे का सौदा था। उन्हें संशय था कि ये रिकार्ड नहीं बिकेंगे। जब पद्मा सचदेव ने स्वयं ख़र्च वहन करने का प्रस्ताव रखा तो उनके लिखे और संगीतबद्ध किये डोगरी गीत लता मंगेशकर की आवाज़ में रिकार्ड हुये। एच एम व्ही ने जब वे रिकार्ड बाज़ार में जारी किये तो उन्हें आशातीत सफलता मिली। जम्मू कश्मीर में बड़ी संख्या में वे रिकार्ड बिके और हर गली मोहल्ले में वे गीत गूँजते सुनाई दिये -‘भला शपाइया डोगरिया’। यह गीत इतना लोकप्रिय था कि बाद में टी सिरीज़ ने अनुराधा पोडवाल की आवाज़ में इसका ‘कव्हर वर्शन’ रिलीज़ किया और इस डुप्लीकेट रिकार्ड को भी लोगों ने हाथोंहाथ लिया।

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‘प्रेम पर्वत’ (1973) निर्देशक वेद राही की एक बेहद ख़ूबसूरत फ़िल्म थी। यह एक युवती (रेहाना सुल्तान) की एक वृद्ध व्यक्ति (नाना पलसीकर) से अनमेल विवाह की सशक्त कथा थी। संगीतकार जयदेव ने इसके लिये बड़े सुरीले गीतों की रचना की थी। याद कीजिये ‘ये दिल और उनकी निगाहों के साये’ (लता मंगेशकर), ‘रात पिया के संग जागी री सखी’ (मीनू पुरुषोत्तम)। इस फ़िल्म में पद्मा सचदेव के लिखे दो गीत भी थे जिन्हें लता मंगेशकर ने अपने कंठ के पारस स्पर्श से सोना बना दिया था – ‘मेरा छोटा सा घरबार मेरे अँगना में’ और ‘यह नीर कहाँ से बरसे है ये बदरी कहाँ से आई है।’

साभार:- श्री रवींद्रनाथ श्रीवास्तव जी।

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