मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो ना कोई
जाके सर मोरमुकुट मेरो पति सोई
फ़िल्म – मीरा
संगीत – पंडित रवि शंकर
स्वर – वाणी जयराम

गुलज़ार अपनी प्रयोगधर्मिता के लिये जाने जाते हैं । फ़िल्म ‘मौसम‘ में उन्होंने मिर्ज़ा ग़ालिब की ग़ज़ल- ‘मुद्दत हुई है यार को मेहमां किये हुये’ के एक शेर ‘ जी ढूँढता है फिर वही फ़ुरसत के रात दिन, बैठे रहे तसव्वुरे जाना किये हुये’ को अपने ढंग से विस्तार दे कर गीत लिखा था – ‘दिल ढूँढता है फिर वही फ़ुरसत के रात दिन’। फ़िल्म ‘मीरा ‘ में उन्होंने संत मीराबाई के दो भजनों को मिला कर एक बना दिया –

मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरों ना कोई
जाके सर मोर मुकुट मेरो पति सोई

मुखड़ा ( स्थायी ) उन्होंने इस भजन का रखा और अंतरे दूसरे भजन के मिला दिये। दूसरा भजन है – ‘माई री मैंने लीनो गोविन्द मोल’, इस भजन के अंतरे उन्होंने लिये-

‘कोई कहे कारो कोई कहे गोरो , लियो है अँखियाँ खोल
कोई कहे हल्को कोई कहे भारो , लियो है तराज़ू तोल ‘

जब यह फ़िल्म शुरु हुई तब गुलज़ार ने संगीत के लिये लक्ष्मीकांत प्यारेलाल को लिया था और मीराबाई के भजन वे लता मंगेशकर से गवाना चाहते थे। लता जी ने उससे पहले अपने छोटे भाई हृदयनाथ मंगेशकर के संगीत में मीराबाई के भजनों का एलबम रिकार्ड करवाया था – ‘ चला वाही देस ( लता सिंग्ज़ मीरा भजन )’। भावनात्मक रूप से उन भजनों से जुड़े रहने के कारण वे मीरा भजन किसी अन्य के संगीत निर्देशन में गाने तैय्यार नहीं हुईं। लता मंगेशकर के मना करने पर लक्ष्मीकांत प्यारेलाल भी अपनी असमर्थता प्रकट करते हुये प्रोजेक्ट से निकल गये ।

तब गुलज़ार ने प्रसिद्ध सितारवादक पंडित रवि शंकर जी को अपनी फ़िल्म में संगीत देने के लिये आमंत्रित किया और दक्षिण भारत की गायिका वाणी जयराम से सारे भजन रिकार्ड करवाये । हर भजन कैसे अनूठे नगीने की तरह बन पड़ा है ये गुणीजन जानते ही हैं। फ़िल्म का बैकग्राउण्ड म्यूज़िक भी पंडितजी को तैय्यार करना था । वे विदेश में रहते थे अत: शूटिंग समाप्त होने का एक अन्दाज़ लगा कर कुछ महिनों बाद की उनकी डेट ले ली गयी।

आर्थिक कारणों से फ़िल्म की शूटिंग नियत समय में पूरी नहीं हो पाई और निश्चित तारीखों में पंडित रविशंकर भारत पहुँच गये । तब गुलज़ार ने अपने लिखे स्क्रीनप्ले और सीन्स के हिसाब से उनका पर्दे पर ड्यूरेशन का हिसाब लगा कर, उन दृश्यों का जो फ़िल्माये नहीं गये थे, पंडित रवि शंकर के साथ मिल कर बैकग्राउण्ड म्यूज़िक रिकार्ड करवा लिया। फ़िल्म देखते समय कोई नहीं बता सकता है कि किन दृश्यों का पार्श्वसंगीत शूटिंग से पहले रिकार्ड करवाया गया था।

साभार:- श्री रवींद्रनाथ श्रीवास्तव जी, Filmi Gaane 

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