गीत – मोहे भूल गये साँवरिया
फ़िल्म – बैजू बावरा (1952)
संगीतकार – नौशाद
गीतकार – शकील बदायूंनी
गायिका – लता मंगेशकर

मीना कुमारी का नाता गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के ख़ानदान से था। रवीन्द्रनाथ टैगोर के रिश्ते के भाई सुकुमार टैगोर की एक बेटी बालविधवा हो गयी थी। उस बेटी ने सारी उम्र विधवा का जीवन जीना स्वीकार नहीं किया और परिवार से नाता तोड़ कर एक लेखक प्यारेलाल से विवाह कर लिया। उनकी बेटी हुई प्रभावती जो एक अच्छी गायिका थी। प्रभावती ने संगीतकार अली बख़्श से निकाह किया और इक़बाल बानो बन गयीं। इक़बाल बानो और अली बख़्श की बेटी महज़बीं थीं जो फ़िल्मी दुनिया में मीनाकुमारी के नाम से मशहूर हुईं।

निर्माता निर्देशक विजय भट्ट ने सबसे पहले ‘लेदर फ़ेस‘(1939) में मीनाकुमारी को बालकलाकार के रूप में पेश किया था। उन्होंने जब फ़िल्म ‘बैजू बावरा‘ (1952) बनाने का विचार किया तो सबसे पहले उनकी इच्छा दिलीप कुमार और नर्गिस को लेने की थी। पर फ़िल्म का बजट सीमित होने के कारण उन्हें भारत भूषण व मीनाकुमारी को लेना पड़ा। संगीतकार नौशाद के साथ पहले कवि प्रदीप गीत लिखने वाले थे। फ़िल्म का विषय ऐसा था जिसमें हिन्दी के भक्तिगीत की माँग थी अतः विजय भट्ट को कवि प्रदीप उपयुक्त लग रहे थे। लेकिन नौशाद शकील बदायूंनी के साथ काम करना चाह रहे थे। शकील बदायूंनी ने अपने चुनाव को सही सिद्ध करते हुये शुद्ध हिन्दी में ‘मन तड़पत हरि दर्शन को आज‘ जैसे अत्यन्त सुन्दर गीत लिखे।

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फ़िल्म निर्माण के दौरान मीनाकुमारी का पूना के पास कार एक्सीडेण्ट हो गया। उन्हें लम्बे समय तक पूना के एक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा। इस कारण फ़िल्म पूरी होने में कुछ विलम्ब हो गया। दुर्घटना में मीनाकुमारी के बायें हाथ की एक अंगुली कुछ कट गयी थी जिसके कारण वे हमेशा पल्ले या चुनरी में बायाँ हाथ छिपा कर अभिनय करती रहीं।  ‘बैजू बावरा’ की सफलता के बाद नौशाद, भारत भूषण और मीनाकुमारी शोहरत की बुलन्दियों पर पहुँच गये। मीनाकुमारी को फ़िल्मफ़ेयर का सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पहला अवार्ड मिला। साथ ही नौशाद साहब को ‘तू गंगा की मौज मैं जमना का धारा’ के लिये सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का अवार्ड मिला।

‘बैजू बावरा’ के गीत ‘मोहे भूल गये साँवरिया’ की रिकार्डिंग के समय लता मंगेशकर को तेज़ बुखार था। गीत की रिकार्डिंग रात में देर तक चली। लेकिन लता जी ने अपनी सारी तकलीफ़ भुला कर अपना दर्द उस गीत में उँड़ेल दिया और इस तरह एक दिल को छू लेने वाला, दर्द भरा गीत सामने आया।

साभार:- श्री रवींद्रनाथ श्रीवास्तव जी।

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