गीत – बिजली गिरी कहाँ से ,
बेगाने हो गये हम अपने ही आशियाँ से
फ़िल्म – पिकनिक
संगीतकार – एस मोहिन्दर
गीतकार – मजरूह सुल्तानपुरी
गायक – मोहम्मद रफी

गीतकार आनंद बक्शी  ने फ़िल्म – ‘पिकनिक’ के गीत नहीं लिखे थे। इस फ़िल्म के सारे गीत मजरूह सुल्तानपुरी की क़लम से निकले थे जिन्हें संगीत से सजाया था संगीत निर्देशक एस मोहिन्दर ने। यह फ़िल्म मनोज कुमार के शुरुआती दौर की फ़िल्मों में एक थी, जिसने पूरा हो कर रिलीज़ होने में बरसों लगा दिये। इसमें नायिकायें थीं – अज़रा, कल्पना और शोभा खोटे। निर्देशन शाहिद लतीफ़ का था।

‘पिकनिक’ के लिये गीत न लिखने पर भी आनंद बक्शी  का नाम इस फ़िल्म से विशेष रूप से जुड़ा हुआ है। उन दिनों आनन्द बख़्शी फ़िल्मों में अपने पैर जमाने के लिये प्रयत्नशील थे। एक दिन वे संगीतकार एस मोहिन्दर से मिले और उनसे उन्होंने किसी भी क़िस्म का काम दिलाने का अनुरोध किया। उन्हें उस समय 300 रुपयों की सख़्त आवश्यकता थी। पर वे उधार या आर्थिक सहायता माँगने के बदले कोई काम माँग रहे थे।

एस मोहिन्दर ने कुछ दिनों पहले मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ में फ़िल्म ‘पिकनिक’ के लिये एक गीत रिकार्ड किया था और उन्हें मालूम था कि निर्देशक शाहिद लतीफ़ उस गाने को फ़िल्माने के लिये किसी छोटे मोटे कलाकार को तलाश रहे हैं। उन्होंने आनन्द बख़्शी से पूछा कि क्या वे पर्दे पर छोटा मोटा रोल करने तैयार हैं? पैसों की सख़्त ज़रूरत के चलते आनन्द बख़्शी उस समय कुछ भी करने तैयार थे।

एस मोहिन्दर के कहने पर ‘पिकनिक’ का वह गीत आनन्द बख़्शी पर फ़िल्माया गया। पर्दे पर एक फ़क़ीर इस गीत को गाता दिखलाई पड़ता है। गीत के माध्यम से नायिका अज़रा की मनोदशा का बयान किया जा रहा था। पारश्रमिक 300 रुपये प्रतिदिन तय हुआ था। आनन्द बख़्शी के साथ गाने की शूटिंग एक ही दिन में पूरी कर ली गयी और उन्हें 300 रुपये मिल गये। भविष्य में आनन्द बख़्शी ने मोम की गुड़िया, बालिका वधु, चरस, शोले आदि फ़िल्मों के लिये गीत गाये पर पर्दे पर वे फिर दोबारा नज़र नहीं आये।

‘पिकनिक’ फ़िल्म का वह गीत जिसे गीतकार आनन्द बख़्शी पर फ़िल्माया गया है लेकिन जिसे लिखा मजरूह सुल्तानपुरी ने है- बिजली गिरी कहाँ से, बेगाने हो गये हम, अपने ही आशियाँ से।

साभार:- श्री रवींद्रनाथ श्रीवास्तव जी 

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