गीत – दुनिया में अमीरों को आराम नहीं मिलता
हँसते हैं तो रोने का पैग़ाम नहीं मिलता
फ़िल्म – कनीज़ (1949)
संगीतकार – ग़ुलाम हैदर
गीतकार – हसरत लखनवी
गायक – एस डी बातिश, मोहम्मद रफी और किशोर कुमार 

रेडियो सीलोन से एक प्रायोजित कार्यक्रम प्रसारित होता था -‘एस. कुमार का फ़िल्मी मुक़दमा’। इसे अमीन सयानी पेश किया करते थे। इसमें फ़िल्मी सितारों पर मुक़दमा चलाया जाता था। उन पर इल्ज़ाम लगाये जाते थे, जिनकी वे सफ़ाई देते थे। अंत में जज अपना फ़ैसला सुनाते थे। एक मुक़दमा किशोर कुमार पर चला था जिसमें मुलज़िम वे थे और जज भी वे ख़ुद बने थे। उस प्रोग्राम में उन्होंने बतलाया था कि पहली बार फ़िल्म ‘कनीज़’ (1949) में उन्होंने अभिनय किया था। उनके बड़े भाई अशोक कुमार ने उन्हें ज़बरदस्ती इस फ़िल्म में काम करने को मजबूर कर दिया था। उसमें एक पागल का छोटा सा रोल था जिसमें उन्हें गाना भी गाना था-

‘बाम चीक चीक, चाम चीक चीक,
बम चिक बुबु चिक, बम चिक बुबु चिक,
चाम चीक चीक बम बम’
दरअसल वह गीत था-
‘दुनिया में अमीरों को आराम नहीं मिलता,
हँसते हैं तो रोने का पैग़ाम नहीं मिलता’

यह गीत एस डी बातिश और मोहम्मद रफी ने गाया था। गाने के बीच में किशोर कुमार का ‘ बाम चीक चीक ‘ आता था। इस गीत के संगीतकार ग़ुलाम हैदर थे। फ़िल्म ‘ कनीज़ ‘ कारवाँ पिक्चर्स , बम्बई की प्रस्तुति थी जिसके निर्देशक कृष्ण कुमार थे। प्रमुख भूमिकाओं में श्याम , मुनव्वर सुल्ताना , कुक्कू , तिवारी , जिल्लो बाई आदि कलाकार थे। फ़िल्म की नामावली में ‘ किशोर ‘ नाम भी आता था लेकिन गीत के रिकार्ड पर किशोर कुमार का नाम नहीं था।’कनीज़’ के निर्माण के दौरान ही सात गीत बनाने के बाद संगीतकार ग़ुलाम हैदर फ़िल्म अधूरी छोड़ कर पाकिस्तान चले गये थे। बाक़ी के गीत हंसराज बहल ने पूरे किये और फ़िल्म का बैकग्राउंड म्यूज़िक ओ पी नय्यर ने तैय्यार किया। यह ओ पी नय्यर की पहली फ़िल्म थी। वैसे उनकी सही तौर पर पहली फ़िल्म जिसमें उन्होंने गाने भी बनाये थे दो तीन साल बाद आई थी, जिसका नाम था ‘आसमान’ (1952, नासिर खान, श्यामा)।

‘कनीज़’ के गीत के टुकड़े ‘ बाम चीक चीक ‘ का उपयोग फिर संगीतकार राहुलदेव बर्मन ने किशोर की ही आवाज़ में फ़िल्म ‘कहते हैं मुझको राजा’ (1975) में एक पूरा गीत बना कर किया। इस फ़िल्म में अभिनय के साथ साथ निर्देशन भी अभिनेता विश्वजीत ने किया था । उनके निर्देशन में धर्मेन्द्र, हेमा मालिनी, शत्रुघ्न सिन्हा, रेखा जैसे कलाकारों ने इस फ़िल्म में काम किया था । पर फ़िल्म असफल रही थी। मजरूह सुल्तानपुरी ने गीत कुछ इस तरह रचा था –

‘ऐ एक दुई त्रन चार गिल गिल गिली
बम चीक बूब चीक , बढ़के बोल बेटा बम बम’

साभार:- श्री रवींद्रनाथ श्रीवास्तव जी।

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