गीत – तुझे बिब्बो कहूँ कि सुलोचना
फ़िल्म – ग़रीब के लाल (1939)
संगीतकार – सग़ीर आसिफ़
गीतकार – रफ़ी कश्मीरी/मुंशी क़ाबिल
गायक – मिर्ज़ा मुशर्रफ़, कमला कर्नाटकी

1939 में प्रदर्शित फ़िल्म ‘ग़रीब के लाल‘ में एक अनूठा गाना था जिसमें तीस के दशक के सारे लोकप्रिय नायक नायिकाओं के नाम शामिल थे। मोती अर्थात् मोतीलाल, बरुआ याने पी सी बरुआ। ‘आलमआरा’ के पहले गीत के गायक कलाकार वज़ीर मोहम्मद खान को ‘काबुली’ कहा जाता था। तो मुलाहिज़ा फर्माइये वह मज़ेदार गीत –

तुझे बिब्बो कहूँ कि सुलोचना हाँ
उमाशशि कहूँ कि जमुना हाँ
हाँ हाँ तुझे मोती कहूँ कि बिलिमोरिया
तुझे सहगल कहूँ या कि बरुआ
तुझे कज्जन कहूँ या कि शान्ता
रतन बाई कहूँ, महताब कह दूँ याकि माधुरी
मेरी बिमला, मेरी कानन, मेरी जद्दन, मेरी रोज़ी
तुझे गौहर कहूँ कि सविता हाँ जी
देविका रानी कहूँ कि ललिता
दुर्गा खोटे कहूँ कि ज़ुबैदा
तुझे ग़ौरी कहूँ, दीक्षित कहूँ या चार्ली कह दूँ
कहूँ मिर्ज़ा मुशर्रफ़ या तुझे मैं काबुली कह दूँ
तुझे सुरेन्द्र कहूँ या कि वास्ती
मैं कुमार कहूँ या कि ग़ज़नवी

साभार:- श्री रवींद्रनाथ श्रीवास्तव जी।

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