गीत- आके सीधी लगी दिल पे जैसे कटरिया
ओ संवरिया
फ़िल्म – हाफ़ टिकिट (1962)
संगीतकार – सलिल चौधरी
गीतकार – शैलेन्द्र
गायक – किशोर कुमार एवं किशोर कुमार

किशोर कुमार एक हरफ़नमौला कलाकार थे। अभिनेता, गायक, गीतकार, संगीतकार, स्क्रीनप्ले राइटर, निर्माता, निर्देशक – उनके अनेकों रूप थे और अपने हर रूप में वे बेमिसाल थे। उनको गायक और अभिनेता वाले रूप में अधिक शोहरत मिली। सिंगिंग स्टार के तौर पर उन्हें जाना पहचाना जाता था। लेकिन कुछ फ़िल्में ऐसी भी बनीं जिसमें अभिनेता किशोर कुमार के लिये दूसरे गायकों ने प्लेबैक दिया। यहाँ कुछ ऐसे गीतों की चर्चा हो रही है जिसमें पर्दे पर किशोर कुमार दिख रहे हैं पर आवाज़ किसी अन्य गायक की है। फ़िल्म ‘शरारत‘ ( 1959, किशोर कुमार, मीना कुमारी, राज कुमार) का एक टैण्डम सांग है – ‘अजब है दास्तां तेरी अय ज़िन्दगी, कभी हँसा दिया रुला दिया कभी’, इसमें संगीतकार शंकर जयकिशन ने किशोर कुमार के लिये मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ का इस्तेमाल किया था। उनसे पहले ओ पी नय्यर ने फ़िल्म – ‘भागमभाग‘ (1956, किशोर कुमार, शशिकला, स्मृति विश्वास, भगवान दादा) में किशोर कुमार के लिये मोहम्मद रफ़ी से गीत गवाया था – ‘आँखों को मिला यार से, पीने का मज़ा ले।

फ़िल्म ‘रागिनी‘ (1958, किशोर कुमार, पद्मिनी, ज़बीन जलील) में किशोर कुमार ने एक शास्त्रीय गायक का रोल अदा किया था। उसमें भी ओ पी नय्यर ने ‘मन मोरा बावरा, निस दिन गाये गीत मिलन के’ गीत रफ़ी की आवाज़ में रिकार्ड करवाया था। इतना ही नहीं एक विशुद्ध शास्त्रीय गीत ‘छेड़ दिये मेरे दिल के तार क्यों, क्यों बाज रही पायल मतवारी’ उन्होंने शास्त्रीय गायक उस्ताद अमानत अली से गवाया था। इन दोनों ही गीतों पर पर्दे पर होंठ हिलाते किशोर कुमार नज़र आये थे।

इन गीतों के अलावा रफ़ी साहब का प्लेबैक मैं इस मासूम चेहरे को अगर छू लूँ तो क्या होगा’ (बाग़ी शहज़ादा, 1964, किशोर कुमार, कुमकुम) और ‘अपनी आदत है सबको सलाम करना’ (प्यार दीवाना, 1972, किशोर कुमार, मुमताज़) गीतों में सुनाई दिया था। शंकर जयकिशन ने एक बार फ़िल्म ‘करोड़पति‘ ( 1961, किशोर कुमार, शशिकला, कुमकुम) में किशोर कुमार के लिये मन्ना डे के पार्श्व गायन का प्रयोग भी किया था -‘आप हुये मेरे, बलम मैं तुम्हारी, अजी मान लीजिये’।

फ़िल्म ‘बाप रे बाप‘ (1955, किशोर कुमार, चाँद उस्मानी) में साड़ी पहन कर किशोर कुमार ने अपने मसखरे अन्दाज़ में एक गीत पर मज़ेदार अभिनय किया था। इस गीत में उनके लिये प्लेबैक आशा भोंसले का था -‘ जाने भी दे छोड़ ये बहाना, तेरे लिये जिया है दीवाना’। लेकिन जब ‘हाफ़ टिकिट’ ( 1962 ) में उन पर फिर लड़की बन कर अभिनेता प्राण के साथ युगलगीत फ़िल्माने की ज़रूरत पड़ी तो उन्होंने पुरुष (प्राण) और नारी (किशोर) स्वर दोनों में स्वयं गाने का निर्णय लिया। दोनों आवाज़ों में किशोर कुमार का गायन कौशल सुनने लायक है – ‘आके सीधी लगी दिल पे जैसे कटरिया, ओ संवरिया, ओ गुजरिया’।

साभार:- श्री रवींद्रनाथ श्रीवास्तव जी।

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