गीत – कुहू कुहू कुहू कुहू कोयलिया
बुलाये रे अम्बुआ तले , अम्बुआ तले
फ़िल्म – देवदास ( अप्रदर्शित )
संगीतकार – राहुलदेव बर्मन
गीतकार – गुलज़ार
गायिका – लता मंगेशकर

बांगला भाषा के प्रख्यात उपन्यासकार शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास ‘देवदास‘ पर कई बार सफल और चर्चित फ़िल्में बन चुकी हैं। हिन्दी में सबसे पहले निर्देशक पी सी बरुआ ने इस पर फ़िल्म बनाई थी जिसमें देवदास बने थे उस समय के सुपर सितारे कुन्दन लाल सहगल। उनका गीत ‘बालम आये बसो मोरे मन में‘ शायद सबको याद होगा। 1935 में बनी इस फ़िल्म के सिनेमेटोग्राफ़र बिमल राय थे।

इसके लगभग दो दशक बाद बिमल राय ने इस उपन्यास पर स्वयं फ़िल्म बनाई। दिलीप कुमार, सुचित्रा सेन, वैजयंतीमाला और मोतीलाल अभिनीत यह फ़िल्म एक क्लासिक मानी जाती है। सचिनदेव बर्मन के संगीत और साहिर लुधियानवी के गीतों का माधुर्य आज भी हमें आनन्दित कर रहा है। संजय लीला भंसाली की फ़िल्म ‘देवदास’ (शाहरुख़ खान, माधुरी दीक्षित, एश्वर्य राय, जैकी श्राफ) अपनी भव्यता के कारण ज़्यादा जानी जाती है।

फिर ‘देवदास’ को एक आधुनिक रूप में प्रस्तुत कर अनुराग कश्यप ने सबको चौंका दिया। ‘देव डी‘ में उन्होंने इसके सारे पात्रों (अभय देओल, माही गिल, कल्कि) को माडर्न अवतार में ढाल कर कहानी का एक ताज़ा रूप दर्शकों के सामने रखा। आश्चर्य यह कि यह प्रयोग सफल रहा। हिन्दी के अलावा बांगला, तमिल, तेलुगु, मलयालम आदि भाषाओं में भी ‘देवदास’ की कहानी एक से अधिक बार सेल्यूलाइड पर उतारी जा चुकी है ।

सत्तर के दशक में एक बार निर्देशक गुलज़ार ने भी ‘ देवदास ‘ उपन्यास पर फ़िल्म बनाने की घोषणा की थी। गुलज़ार बिमल राय के सहायक रह चुके थे और उनके मन में उस कहानी को अपने ढंग से पेश करने की चाह थी । उन्होंने इस फ़िल्म के लिये धर्मेन्द्र, शर्मीला टैगोर और हेमा मालिनी को अनुबन्धित किया था। हेमा मालिनी के नृत्य निपुण होने के कारण अन्दाज़ लगाया जा सकता है कि वे चन्द्रमुखी की भूमिका निभातीं। लेकिन उन दिनों गुलज़ार ने उन्हें ‘खुशबू‘ (यह भी शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय की कहानी पर आधारित फ़िल्म थी), ‘किनारा ‘, ‘मीरा‘ आदि फ़िल्मों में लीक से हट कर एकदम भिन्न स्वरूप में पेश किया था अत: अगर वे हेमा मालिनी को पारो और शर्मीला टैगोर को चन्द्रमुखी बना देते तो कोई आश्चर्य की बात न होती ।

दुर्भाग्यवश आर्थिक कारणों से गुलज़ार की वह कल्पना मूर्त रूप न ले सकी। लेकिन राहुलदेव बर्मन के संगीत में गुलज़ार के लिखे दो गीत इस फ़िल्म ‘ देवदास ‘ के लिये रिकार्ड कराये गये थे। उनमें से एक लता मंगेशकर की आवाज़ में आज के गीत के रूप में आपके सामने है –

कुहू कुहू कुहू कुहू कोयलिया
बुलाये रे अम्बुआ तले , अम्बुआ तले

साभार:- श्री रवींद्रनाथ श्रीवास्तव जी।

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