गीत – कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है
फ़िल्म – कभी कभी (1976)
संगीतकार – ख़य्याम
गीतकार – साहिर लुधियानवी
गायक – मुकेश/लता मंगेशकर

साहिर लुधियानवी की नज़्म ‘कभी कभी’ पढ़ कर यश चोपड़ा को ‘ कभी कभी ‘ फ़िल्म बनाने का विचार आया –

कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है
कि ज़िन्दगी तेरी ज़ुल्फ़ों की नर्म छांव में
गुज़रने पाती तो शादाब हो भी सकती थी
ये तीरगी जो मेरी जीस्त का मुक़द्दर है
तेरी नज़र की शुआओं में खो भी सकती थी
अजब न था कि मैं बेगाना ए अलम रह कर
तेरे जमाल की रानाईयों में खो रहता
तेरा गुदाज़ बदन तेरी नीमबाज़ आँखें
इन्हीं हसीन फसानों में मैं खो रहता
पुकारतीं मुझे जब तल्खियाँ ज़माने की
तेरे लबों से हलावत के घूँट पी लेता
हयात चीख़ती फिरती बरहना सर
और मैं घनेरी ज़ुल्फ़ों के साये में छुप के जी लेता
मगर यह हो न सका और अब ये आलम है
कि तू नहीं , तेरा ग़म , तेरी जुस्तजू भी नहीं
गुज़र रही है कुछ इस तरह ज़िन्दगी जैसे
इसे किसी के सहारे की आरज़ू भी नहीं 

साहिर के कलाम की कई लड़कियाँ दीवानी थीं। उन जैसे युवा लोकप्रिय शायर का कैरेक्टर अमिताभ बच्चन ने ‘कभी कभी’ में निभाया था। उन्हें केन्द्र में रख कर पामेला चोपड़ा ने एक प्रेमकथा लिखी और यश चोपड़ा ने उसे एक विशाल कैनवास पर चित्रित किया। सितारों की एक लम्बी लाइन थी – अमिताभ बच्चन, वहीदा रहमान, शशि कपूर, राखी, ऋषि कपूर, नीतू सिंह, परीक्षित साहनी, सिमी ग्रेवाल और नई तारिका नसरीन। फ़िल्म का संगीत पक्ष अत्यन्त सबल था। ख़य्याम साहब की बाक्स आफिस पर यह सबसे अधिक सफल फ़िल्म थी। इसके शीर्षक गीत ने बिनाका गीत माला के सालाना प्रोग्राम में पहली पायदान पर जगह पायी थी। फ़िल्मफ़ेयर के सर्वश्रेष्ठ संगीतकार, गीतकार और गायक के अवार्ड ख़य्याम, साहिर लुधियानवी और मुकेश को मिले थे।

साहिर की ओरिजिनल नज़्म का पाठ भी अमिताभ बच्चन की आवाज़ में फ़िल्म ‘कभी कभी’ में था। फ़िल्म के लिये साहिर लुधियानवी ने कुछ फेरबदल कर इस गीत को नया रूप दिया था। इस गीत से जुड़ी एक रोचक बात यह है कि कई बरस पहले इस गीत को ख़य्याम ने एक थोड़ी अलग धुन में सुधा मल्होत्रा और गीतादत्त की आवाज़ में रिकार्ड किया था। चेतन आनन्दकाफ़िर‘ नामक एक फ़िल्म बना रहे थे, उसके लिये साहिर और ख़य्याम की जोड़ी ने यह गीत बनाया था। वह फ़िल्म अधूरी छूट गयी और गीत कभी लोगों के सामने नहीं आ पाया। बरसों बाद ख़य्याम ने साहिर की नज़्म को एक नई धुन में ढाल कर मुकेश और लता मंगेशकर की आवाज़ में रिकार्ड कराया। इस गीत ने सफलता के झण्डे गाड़ दिये- कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है।

साभार:- श्री रवींद्रनाथ श्रीवास्तव जी।

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